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धर्म संस्कृति

पुरोहित के अगुवाई में पूजा जाना आदिवासी धर्म संस्कृति के विरुद्ध है !!!

नूतन कच्छप : सहायक ब्यूरो प्रमुख

लोहरदगा : राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा जिला समिति केन्द्रीय महासचिव जालेश्वर उरांव ने अपना ब्यान देते हुये अवगत किया कि लोहरदगा सदर प्रखंड के ग्राम कुजरा उरांव टोली स्थित मड़ई को लेकर दो समुदायों में पूजा पाठ को लेकर प्रशासन द्वारा विवाद को सुलझाया गया। ज्ञात है कि जिस मड़ई को लेकर विवाद हो रहा है।

आदिवासी धर्म संस्कृति से जुड़ा मामला है। मानक पुस्तक उरांव रिलिजन एण्ड कस्टम के आधार पर निराकार एवं बिना आकृति का पूजा पाठ करने की पद्धति है। जिस मड़ई में सात प्रतीक रखा गया है। आदिवासी संस्कृति के अनुसार सभी देवी देवता गांव के बाहर अलग अलग जगहों में गांव के बाहर अपने सिमांन में स्थापित है जैसे सरना स्थल, दरहा -देशवली, हरियरी,खरीयानी, कदलेटा, चण्डी, अखड़ा इत्यादि।

सभी देवताओं को अलग अलग जगहों पर जाकर पूजा करने न जाना पड़े इसके लिए गांव के भुईहर खुटकटी जो गांव बसाया जो गांव के महतो,पहान, पूजार होते हैं, सुविधा के लिए शताब्दियों से गांव के बीच में सभी देवी देवताओं को गांव के नजदीक स्थापित कर गांव के पाहन द्वारा ही पूजा जाता रहा है। मान्यता है कि छेड़ छाड़ करने से गांव अशांत हो जाती है।

व्यक्तिगत रूप से पूजे जाने पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है, परन्तु किसी समुदाय विशेष के पुरोहित के अगुवाई में पूजा जाना आदिवासी धर्म संस्कृति के विरुद्ध है। समय के नजाकत को समझते हुए जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन द्वारा मामले को विशेष समुदाय को सुझाव देकर शांत किया गया।

मौके पर प्रशासनिक अधिकारियों में मुख्य रूप से अनुमंडल पदाधिकारी अमित कुमार, लोहरदगा अंचल अधिकारी आशुतोष कुमार, थाना प्रभारी रत्नेश मोहन ठाकुर, एसआई गौतम कुमार व बड़ी संख्या में दोनों समुदाय के लोग मौजूद थे।

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