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आदिवासियों का महापर्व सरहुल पूजा जो प्रकृति से जुड़ा पेड़ पौधों,सखुवा सरईफूल से मनाया जाता है: कुटमू ग्रामवासी !!!

नूतन कच्छप: सहायक ब्यूरो प्रमुख

लोहरदगा:- लोहरदगा सदर प्रखंड के ग्राम कुटमू चिगला टोली के फुटकल पेड़ के नीचे ग्राम प्रधान पहान बंधन मुण्डा, पूजार शनि उरांव व महतो सकलु उरांव की अध्यक्षता में की गई। बैठक का संचालन आदिवासी सरना समिति मौजा कुटमू के अध्यक्ष राहुल उरांव ने की। बैठक में प्रधान ने कहा कि यह आदिवासियों का महापर्व सरहुल पूजा जो प्रकृति से जुड़ा पेड़ पौधों,सखुवा सरईफूल से मनाया जाता है। यह त्योहार जंगल, जमीन जल से जुड़ा हुआ पर्व है। इस त्योहार को मनाने के लिए सरहुल पूर्व संध्या, शोभा यात्रा और भव्य तरीके से मनाने का निर्णय लिया गया।

कुटमू ग्राम वासियों ने बैठक में चर्चा करते हुये बताया कि कुटमू सीमा (धरती) पर आगामी अप्रैल माह के पहला दिन तारीख 01 अप्रैल 2024 से 3 अप्रैल 2024 तक आदिवासियों का प्रकृति पूजा सरहुल पर्व का कार्यक्रम मनाया जाएगा। पहान पूजार और महतो ने बताया कि एक अप्रैल 2024 को सबसे पहले ग्राम प्रधान पहान के घर प्रातः सुबह बांस का डण्टा गाड़ी पूजा पाठ होगी।‌ उसके बाद संध्या समय सरना ड़ाडी पूजा पाठ और पानी घड़ा में भरके चढ़या जाता है। दूसरे दिन 2 अप्रैल 2024 को सरना डांड़ सरईफूल,अरवा चावल वितरण कार्यक्रम आयोजित होगा।

तीसरे दिन 3 अप्रैल 2024 को अपने गांव मुहल्ले में भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी। बैठक में बात चीत के दौरान पहान पूजार और महतो ने यह जानकारी देते हुये अवगत कराया कि जब अपने सीमा (धरती) में सरहुल पर्व पूजा पाठ होता है तो उस समय गवादेवती सूप उठा रहता है इस लिये जब तक सूप बैठ नहीं जाता है तब तक कोई भी गांव के कोई भी व्यक्ति पेड़ नहीं चढ़ सकता, नया कोई काम नहीं होता है, कोई पूजा पाठ नहीं होता है। यह पूर्वजों से चलते आ रहा है, सरना मां का बहुत बड़ा शक्ति मान अपरूपा देन है। अगर कोई जबरदस्ती करता है तो बड़ी दुर्घटना का शिकार बन जाता है।

इस लिये जब तक पहान पूजार, महतो और ग्रामीणों द्वारा यह पूजा पाठ जब तक बैठा लिया नहीं जाए तब तक अनावश्यक कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। यह पर्व में इतनी शक्ति है। सरहुल पर्व को मनाने के लिए ग्रामीणों द्वारा पर्व संचालन, देख रेख और व्यवस्थापक इन प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी लोगों की उपस्थिति में होगा जैसे गणेश मुण्डा, सहदेव तिग्गा, झरी उरांव, राजू उरांव, तिवारी उरांव, बजरंग महतो, बिरसु उरांव, नौरी उरांव, मुन्नी देवी, फिरोजमुन्नी उरांव, धनिया उरांव एवं अंजली उरांव हैं। बैठक में मुख्य रूप से तेवारी उरांव, बजरंग महतो, फिरोजमुन्नी उरांव, मंजु उरांव, शिबईन उरांव, सुनीता उरांव, ललिता उरांव, मीना उरांव, रमेश उरांव, बैजु उरांव, राजेन्द्र उरांव, बाबुलाल मुंडा, शत्रुध्न मुण्डा समेत कुटमू ग्रामवासी भारी संख्या में उपस्थित थे।

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