नई दिल्ली- मंकीपॉक्स, एक दुर्लभ लेकिन तेजी से फैलने वाला वायरल संक्रमण, वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बनता जा रहा है। हाल के महीनों में, कई देशों में मंकीपॉक्स के मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों के बीच चिंता बढ़ गई है। भारत में भी इस बीमारी के कुछ मामले सामने आए हैं, जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था को सतर्क कर दिया गया है।
मंकीपॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स एक वायरल रोग है जो पॉक्सविरिडे परिवार के वाइरस से होता है। इसका नाम मंकीपॉक्स इसलिए पड़ा क्योंकि यह सबसे पहले 1958 में रिसर्च के दौरान बंदरों में पाया गया था। हालांकि, इसका प्राथमिक स्रोत छोटे जानवर होते हैं, विशेष रूप से कृंतक। यह रोग इंसानों में जानवरों से संक्रमण के माध्यम से फैलता है, और फिर संक्रमित व्यक्ति से अन्य व्यक्तियों में फैल सकता है।
लक्षण और पहचान
मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक से मिलते-जुलते हैं, हालांकि यह कम गंभीर होते हैं। संक्रमित व्यक्ति में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और थकावट जैसे प्रारंभिक लक्षण दिखाई देते हैं। इसके बाद चेहरे और शरीर पर रैशेज़ या लाल धब्बे निकल आते हैं, जो बाद में फफोले और पपड़ी में बदल जाते हैं। इन लक्षणों की शुरुआत आमतौर पर संक्रमण के 5 से 21 दिनों के भीतर होती है।
भारत में स्थिति
भारत में अब तक मंकीपॉक्स के कुछ मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रभावित क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी है और सभी संदिग्ध मामलों की टेस्टिंग के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों में स्वास्थ्य विभाग ने संभावित संक्रमण को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाए हैं।
डॉ. राजेश भूसन, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, ने बताया कि सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है और किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता संक्रमण के प्रसार को रोकना और संक्रमित व्यक्तियों को सही समय पर चिकित्सा सुविधा प्रदान करना है।”
संक्रमण से बचाव के उपाय
मंकीपॉक्स से बचाव के लिए लोगों को व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से बचना चाहिए और अगर किसी में इस बीमारी के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। इसके अलावा, संक्रमित जानवरों से दूर रहना और मास्क पहनने जैसी सावधानियां भी जरूरी हैं।
वैक्सीन और उपचार
वर्तमान में मंकीपॉक्स के लिए कोई विशिष्ट वैक्सीन नहीं है, लेकिन चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ प्रभावी मानी जाती है। इसी के साथ, लक्षणों के आधार पर चिकित्सीय उपचार प्रदान किया जाता है, जो रोग की गंभीरता को कम करने में मदद करता है।
दुनिया भर में स्थिति
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, विशेष रूप से अफ्रीका और यूरोप में मंकीपॉक्स के मामलों में तेजी देखी जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है और सभी देशों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है।
मंकीपॉक्स का खतरा भले ही गंभीर हो, लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है। जागरूकता, समय पर चिकित्सा सहायता, और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है। भारतीय स्वास्थ्य तंत्र भी पूरी तरह से तैयार है और इस बीमारी से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।