Advertisement
Black & Red Files

साहिबगंज, पाकुड़ संथाल परगना में टिड्डी दल की तरह फैल रहा है !

संपादकीय

झारखंड एक गंभीर खतरे की ओर बढ़ रहा है। यह खतरा भ्रष्टाचार नहीं है। खतरा कोई पॉलिटिकल नहीं है। एक देश है बांग्लादेश वहाँ से लगातार प्रवासियों की फौज आ रही है। और साहिबगंज, पाकुड़ संथाल परगना में टिड्डी दल की तरह फैल रहा है।

आंकड़ा के अनुसार जब झारखंड बना था तो पाकुड़ जिले में मुस्लिम आबादी महज 35%। संथाल परगना इलाके में लंबे समय से सैकड़ाें बांग्लादेशी घुसपैठिए बनकर रह रहे हैं। धीरे-धीरे वे दूसरे जिले में भी फैलते जा रहे हैं।

आज झारखंड सरकार के आंकड़े के अनुसार ये 65% हो गई है 35 से 65 महज 20 सालों में। इसी तरह साहिबगंज जिले में।जहाँ 6% मुस्लिम आबादी थी 2000 2001 में आज वो 27% हो गई है।

गिरिडीह के पचंबा इलाके में हिंदू अपना घर बार मकान जमीन बेचना चाहते हैं। क्योंकि एक भू माफिया है वो कई तरह से परेशान कर रहा है। वहाँ के रहने वाले लोगों।वो जो लड़कियां जो बहु बेटियां हैं, उनके साथ अप्रिय घटना होती है। कुछ दिन पहले दोनों समुदायों में झड़प हुई और पिछले 1 साल में ये छठी ऐसी झड़प थी गिरी के अलग अलग इलाकों में। आप सोचिये की चाहे साहेबगंज हो, पाकुड़ हो, गोड्डा हो, गिरिडीह हो, कोडरमा हो।

विशेष शाखा के पुलिस अधीक्षक ने सरकार काे यह खुफिया जानकारी दी है। साथ ही सभी जिलों के डीसी काे पत्र भेजकर कहा है कि राज्य की आंतरिक सुरक्षा काे खतरा न हाे, इसलिए सभी जिलाें में बांग्लादेशी घुसपैठियों का सत्यापन और निगरानी कराएं।

इन सब जिलों में अचानक अल्पसंख्यक आबादी में इतनी उछाल कैसे आ गई ? और एक बहुत और की जो यहाँ के जो मुसलमान हैं, जिन्हें मूल झारखंड में मुसलमान कहते हैं, वो परेशान।उनको भी भगा रहे हैं। रघुवर दास सरकार के जमाने में जब प्रधान सचिव सुनील कुमार वर्णवाल हुआ करते थे।तो उस दौरान करीब 100 एकड़ सरकारी भूमि जिन पर अवैध आये हुए बांग्लादेशियों का कब्जा था, उसे मुक्त कराया गया। पिछले दो सालों में इस तरह का कोई अभियान नहीं चला।

जो हमें जानकारी मिली है साहबगंज के लोग या पाकुड़ के लोग बताते हैं कि जीतने भी।अवैध जो कारोबार है, चाहे वो गोतस्करी का हो, अवैध पत्थर के खदान का हो।ये जो यहाँ रेत की ढुलाई हो रही है, संथाल के अलग अलग इलाकों में। इसमें बांग्लादेशी कारोबारियों का एक वर्ग है जो जिसका प्रभुत्व है यहाँ के लोकल माफियाओं के साथ भले ही उनके अन्डरस्टैन्डिंग हो पार्ट्नरशिप हो सकता है लेकिन वो धीरे धीरे अर्थव्यवस्था यहाँ की जमीन यहाँ के लोगों को खदेड़ना शुरू कर चूके हैं।तो बड़ा सवाल ये है। की क्या झारखंड में भी ? सीएए या एनआरसी लागू करने का वक्त आ गया है।

रांची के नए बसावट वाले क्षेत्राें में बाहरी लाेगाें के बसने की सूचना पिछले कई वर्षाें से सामने आ रही है। कुछ समय पहले सिल्ली-मुरी के रास्ते नामकुम, रातू व धुर्वा क्षेत्र में भी कुछ बांग्लादेशियों के आने की सूचना मिली थी। हालांकि, उस समय पुलिस-प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

2011 की एक रिपोर्ट देख रहा था केंद्र सरकार की।वो रिपोर्ट कहती है की आदिवासी संस्कृति को बांग्लादेशी घुसपैठियों से गंभीर खतरा है। क्योंकि बांग्लादेशी आते हैं। यहाँ आदिवासी महिलाओं के साथ शादियाँ करते हैं और उनकी पहचान को धीरे धीरे खत्म कर रहे हैं। और आश्चर्यजनक बात ये की जो बांग्लादेशी यहाँ के मूल आदिवासियों के साथ शादी करते है। वो एसटी सीटों पर चुनाव भी लड़ रहे हैं। वो एस टी का फायदा भी उठा रहे हैं।

हमें एक और जानकारी मिली है कि पाकुड़ के कुछ ऐसे जगह जिले हैं जो प्रखण्ड है। माफ़ कीजिएगा जहाँ पान के गुमटी इतनी जगह पे, बांग्लादेशियों के आधार कार्ड बन रहे हैं, उनके पासपोर्ट तैयार किया जा रहा है और ये धड़ल्ले से किया जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार  लगभग एक अनुमान के मुताबिक 1 साल में दो से 3,00,000।आधार कार्ड और पासपोर्ट सिर्फ पाकुड़ में बन रहे हैं।

तो क्या ये झारखंड के लिए खतरा नहीं है ? हमने पत्थरबाजी पहले कश्मीर में देखी थी, आज रांची में देख रहे हैं। हमने पलायन पहले कैराना में देखा था ! आज गिरिडीह  में देख रहे हैं सोचिए कही आने वाले वक्त में झारखंड की सभ्यता संस्कृति यहाँ के मूल निवासियों और यहाँ के रहने वाले लोगों को क्या हाल करेंगे? अवैध प्रवासी सोचने की बारी आपकी है।

इसके लिए सरकार को कड़ी कदम उठाने की ज़रूरत है या फिर जनता को ही निर्णय लेना होगा की उनकी सरकार कैसी हो !!! – संपादकीय 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}