“ओडि़सा के सरकारी भट्ठियों से ९० फीसदी शराब की खपत छत्तीसगढ़ में…!!!
संपादकीय : छत्तीसगढ़ प्रदेश के रायगढ़ शहर समेत पूरे रायगढ़ जिले में शराब के शौकीन लोगों को पिछले करीब तीन महीनों से अपनें मनपंसद ब्राँड की शराब मिल नहीं पा रही है।
शराब के तमाम दुकानों में या तो चीप रेंज की शराब उपलब्ध है या फिर सर्वथा अपरिचित ब्राँड नाम वाला शराब मनमानें कीमतों में बेचा जा रहा है।
आलम यह है कि आज अगर आप शराब के किसी ब्राँड का बॉटल खरीदते हैं, तो दूसरे दिन उसी ब्राँड की शराब आपको मिल जाए इस बात की कोई गारंटी नहीं है।
उम्दा और कीमती शराब पीनें वाले लोगों के लिए खोली गई प्रीमियम जैसी दुकानों में भी प्रचलित ब्राँड की शराब उपलब्ध नहीं रहती, मतलब यह है कि अगर आपको शराब पीनी ही है तो वही शराब पीनी होगी जो दुकानदार आपको पिलाएगा। आपके पास चयन का कोई अधिकार नहीं है।
ऐसा नहीं है कि प्रचलित ब्राँड वाले शराब की सप्लाई स्थानीय दुकानों में ना होती हो। होता यह है कि स्थानीय दुकानों में सप्लाई होनें वाले प्रचलित ब्राँड की शराब या तो शहर में संचालित बार वालों को भेज दिए जाते हैं या आधा दर्जे के प्रशासनिक अधिकारियों के बंगलों में प्रचलित ब्राँड की शराब पहुंच जाते हैं।छत्तीसगढ़ में चर्चित दो हजार करोड़ रूपये के शराब घोटाले की जाँच की कार्रवाई अभी चल रही है। जाहिर सी बात है कि कथित घोटाले का असर ही शराब के सामान्य कारोबार में दिखलाई पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में शराब घोटाले की जाँच कर रही एजेंसी को शराब दुकानों में उपलब्ध कराई जा रही शराब को लेकर भी जाँच करनी चाहिए।
अगर ऐसा हुआ तो निश्चित है कि दो हजार करोड़ रूपये का शराब घोटाला बढ़ कर कारोबार की इस स्थिति के चलते बड़े पैमाने पर बन और खप रहा है, इसके अलावा ओडिसा के सीमांत गांवों से भी कच्ची शराब की तस्करी रायगढ़, महासमुंद और रायपुर जिला क्षेत्र में हो रही है।महुआ और कच्ची शराब के मामले में भी पुलिस और आबकारी अमला अपनी सेंटिंग के हिसाब से कभी-कभार कार्यवाही की खानापूर्ति कर लेता है।
अगर शराब के कारोबार की स्थिति यूं ही बनी रही तो उसके घातक नतीजों की आशंका को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन छत्तीसगढ़ प्रदेश की सरकार जिसके सामनें विधानसभा का चुनाव आ चुका है उसे ऐसे घातक नतीजों की लगता है कोई परवाह ही नहीं है, उसका एकमात्र लक्ष्य सत्ता में वापसी और सत्ता का सुख भोगना ही है।
संजय मिश्रा – संवाददाता