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आलेख/विचार

बॉलीवुड में फिर उठा विवाद: Ranveer Singh और Chamundadevi

समीर सिंह 'भारत' : मुख्य संपादक : विशेष रिपोर्ट

विशेष रिपोर्ट : 28 नवंबर 2025 को International Film Festival of India (IFFI) के समापन समारोह में, बॉलीवुड अभिनेता Ranveer Singh मंच पर आए थे ताकि वे Kantara: Chapter 1 फिल्म में कलाकार Rishab Shetty के अभिनय की तारीफ कर सकें।

However, उनकी तारीफ के अंदाज़ ने विवाद को जन्म दे दिया। उन्होंने Kantara की उस क्लाइमेक्स सीन का अभिनय दोहराया जिसमें Daiva-पोज़ (possession / spirit ritual) दिखाया गया था।

न सिर्फ अभिनय, उन्होंने Daiva Chaundi (जिसे कई लोग एक देवी/दैवी शक्ति मानते हैं) को “female ghost” (महिला भूत) कहा।

मंच पर उनका यह अंदाज़ (आँखें फेरी हुईं, जीभ बाहर, “primordial scream” इत्यादि) — जिसे उन्होंने मजाकिया और सराहना स्वर में पेश किया — देख कर कुछ लोग हँस पड़े, लेकिन जैसे ही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, विवाद आग की तरह फैल गया। I

कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने तुरंत आलोचना शुरू कर दी। कुछ ने कहा कि उनका ऐसा करना “अनावश्यक और अपमानजनक” था।  विशेष रूप से उन समुदायों में जो उनके धार्मिक विश्वासों के अनुसार Daiva पूजा करते हैं, उन्हें यह टिप्पणी बेहद संवेदनशील लगी। इसी क्रम में, Hindu Janajagruti Samiti (HJS) ने शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि Ranveer Singh ने Chamundadevi का अपमान किया है। शिकायत में कहा गया है कि दैवी पूजा और विश्वास को हल्के में लेना, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है और ऐसे कार्यों को रोका जाना चाहिए।

विवाद पनपने के बाद Ranveer ने सोशल मीडिया (इंस्टाग्राम स्टोरी) पर माफी मांगते हुए कहा कि उनका इरादा किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का नहीं था। उन्होंने लिखा कि उनकी नीयत केवल Rishab Shetty के अभिनय की तारीफ करने की थी। अभिनेता की भूमिका देखकर उन्हें सम्मान हुआ, इसी admiration को वे stage act से दिखाना चाहते थे।

उन्होंने आगे कहा कि भारत में वो हर संस्कृति, हर परंपरा और हर विश्वास को गहरा सम्मान देते हैं — अगर किसी से भावनाएं आहत हुई हों, तो वे दिल से माफी मांगते हैं।

Daivaradhane — जिसे Kantara फिल्म में दिखाया गया — केवल एक सिनेमा या “ड्रामा” नहीं है, बल्कि जो समुदाय इसे मानता है, उनके लिए यह विश्वास, पूजा और पहचान का हिस्सा है। जब किसी ऐसा धार्मिक या सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व बड़ा मंच, हँसी-मजाक या हल्के अंदाज़ में किया जाता है, तो वो समुदाय इसे अपने अस्तित्व व् पहचान पर चोट मान सकता है। इस तथ्य ने इस विवाद को सिर्फ “एक बॉलीवुड मजाक” से कहीं ऊपर उठा दिया।

जो कलाकार पब्लिक प्लेटफॉर्म पर आते हैं, उनके हर शब्द और हर अभिनय पर हजारों-लाखों लोगों की नज़र होती है।ऐसी घटनाएँ यह सवाल उठाती हैं: क्या कलाकारों को ऐसी प्रतिक्रियात्मक चुप्पी और विचारशीलता रखनी चाहिए जब वो किसी धार्मिक, सांस्कृतिक या स्थानीय पद्धति का उल्लेख करें? भले अभिनेता ने मंशा “सराहना” की हो, लेकिन परिणाम ने यह दिखाया कि कैसी “अचूक” मंशा भी कितनी जल्दी विवाद का रूप ले सकती है।

ये विवाद दिखाता है कि सोशल मीडिया और वायरल वीडियो का असर अब कितनी तीव्रता से हो सकता है — एक पल की एक्टिंग, एक भाव, एक शब्द वायरल हुआ, और पूरे देश में बहस शुरू हो गई।साथ ही, ऑनलाइन आलोचना व् समर्थन दोनों — दोनों ही बहुत तेज़ी से सामने आती हैं, और यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि वास्तविक भावनात्मक अस्वीकृति कितनी है और कितनी “मौकों की राजनीति”।

यह पहली बार नहीं है कि Ranveer के नाम से विवाद हुआ है। वास्तव में, पिछले कुछ सालों में उनकी पर्सनालिटी, बातचीत और अभिनय — खासकर सोशल मीडिया व् पब्लिक प्लेटफार्मों पर — ने कई बार सवाल खड़े किया है। 
इस बार का विवाद — धार्मिक व् सांस्कृतिक भावना से जुड़ा — पहले से कहीं अधिक संवेदनशील है।

सार्वजनिक मंच पर, विशेष रूप से धार्मिक या सांस्कृतिक प्रतीकों के संदर्भ में, मजाक या सराहना के उद्देश्य से की गई हर टिप्पणी पर गहराई से विचार करना चाहिए।कलाकारों व् आयोजकों को समझदारी और संवेदनशीलता से काम लेना चाहिए — भाषण, अभिनय या इशारों में किसी की धार्मिक भावना का सम्मान होना चाहिए।समुदायों को चाहिए कि वे संवाद और समझ की दिशा में काम करें — ऐसे मामलों में तुरंत कटुता व् नफ़रत की बजाय बातचीत, माफी और पुनर्सम्मान को बढ़ावा दें।

Ranveer Singh का यह विवाद हमें यह याद दिलाता है कि जब बड़े मंच, दर्शक-समूह और सांस्कृतिक विविधता एक साथ आएँ, तो हर कदम — हर रूपक, हर उक्ति — की ज़िम्मेदारी दोगुनी हो जाती है। मनोरंजन की दुनिया में दिल, भावना और सम्मान को भूलना बहुत महंगा पड़ सकता है। इस घटना ने दिखा दिया कि मजाक या मनोरंजन की आड़ में भी, हमें उस ताक़त और उस संवेदनशीलता का ध्यान रखना चाहिए जो हमारे विविध सांस्कृतिक धागों को आपस में बाँधे रखते हैं।

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