
दिल्ली– आज के समय में जब देशभर में बैंकिंग सेवाएँ डिजिटल और ग्राहक-हितैषी बनने का दावा करती हैं, वहीं बैंकों की शाखाओं में पार्किंग सुविधा की कमी आम जनता के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। शहर और कस्बों के कई बैंक भवनों में ग्राहकों के वाहनों के लिए पर्याप्त पार्किंग नहीं है। इससे न केवल ग्राहकों को असुविधा झेलनी पड़ रही है, बल्कि यातायात जाम और दुर्घटनाओं की स्थिति भी लगातार पैदा हो रही है।
आँकड़ों में समस्या की तस्वीर
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भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में 1.55 लाख से अधिक बैंक शाखाएँ संचालित हो रही हैं।
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इनमें से लगभग 45% शाखाएँ शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं, जहाँ वाहनों की संख्या सबसे अधिक है।
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एक स्वतंत्र सर्वेक्षण (Urban Consumer Index, 2023) में पाया गया कि 65% ग्राहकों को बैंक शाखा आने पर पार्किंग की समस्या झेलनी पड़ती है।
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महानगरों जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता में स्थिति और भी खराब है। दिल्ली में किए गए एक अध्ययन (Delhi Transport Survey, 2022) के मुताबिक, 70% बैंक शाखाएँ बिना पार्किंग सुविधा के संचालित हो रही हैं।
केस-स्टडी: दिल्ली, पटना और इंदौर
दिल्ली का करोलबाग क्षेत्र
करोलबाग का क्षेत्र व्यापारिक केंद्र माना जाता है, जहाँ हर गली में कई बैंकों की शाखाएँ मौजूद हैं। लेकिन यहाँ की स्थिति यह है कि 80% बैंक शाखाओं के बाहर पार्किंग स्थल नहीं है। ग्राहक सड़क किनारे गाड़ियाँ खड़ी करने को मजबूर होते हैं, जिससे हर दिन जाम लगता है।
एक ग्राहक ने शिकायत की:
“मैं सुबह सिर्फ एक चेक जमा करने आया था, लेकिन गाड़ी पार्क करने में ही 20 मिनट लग गए। पुलिस वाले ने चालान भी काट दिया।”
पटना का फ्रेजर रोड इलाका
बिहार की राजधानी पटना के फ्रेजर रोड पर लगभग 20 राष्ट्रीयकृत और निजी बैंक शाखाएँ संचालित होती हैं। लेकिन इनमें से केवल 4 बैंकों के पास आंशिक पार्किंग सुविधा है। बाकी शाखाओं के बाहर आए दिन जाम लगता है।
पटना ट्रैफिक पुलिस के अनुसार, सिर्फ फ्रेजर रोड पर साल 2023 में 3,200 चालान अवैध पार्किंग के लिए काटे गए, जिनमें से अधिकांश बैंक शाखाओं के बाहर थे।
इंदौर का एम.जी. रोड
मध्यप्रदेश का इंदौर शहर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल है, लेकिन एम.जी. रोड स्थित कई बैंक शाखाओं में पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत बनाए गए मल्टी-लेवल पार्किंग स्थल ग्राहकों के लिए दूर हैं, जिसकी वजह से लोग वाहन सड़क पर ही छोड़ देते हैं।
ग्राहकों की नाराज़गी
ग्राहक मानते हैं कि बैंक उनके पैसों से मुनाफा कमाते हैं लेकिन बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने से बचते हैं।
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संजय वर्मा (व्यवसायी, दिल्ली): “हमारे खाते में करोड़ों रुपये का लेन-देन होता है। लेकिन बैंक में गाड़ी खड़ी करने की जगह तक नहीं है। यह कैसी ग्राहक सेवा है?”
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नीलम देवी (गृहिणी, पटना): “जब भी बैंक जाती हूँ, बच्चों को सड़क पर उतारना पड़ता है। यह खतरनाक है। बैंक को कम से कम 5-10 गाड़ियों की पार्किंग तो उपलब्ध करानी चाहिए।”
पुलिस और प्रशासन की चिंता
ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि बैंकों के बाहर अवैध पार्किंग उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
लखनऊ ट्रैफिक पुलिस के एक अधिकारी ने बताया:
“बैंकों के बाहर रोज़ाना चालान काटने पड़ते हैं। समस्या यह है कि ग्राहक मजबूर होते हैं, क्योंकि पार्किंग की जगह होती ही नहीं।”
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि भवन निर्माण अनुमति के समय पार्किंग अनिवार्य होती है, लेकिन बैंक अक्सर पुराने भवनों या किराए की इमारतों में शाखाएँ खोल लेते हैं।विशेषज्ञों की राय
शहरी योजनाकार और बैंकिंग विशेषज्ञ मानते हैं कि पार्किंग सुविधा को लेकर नई नीतियाँ बननी चाहिए।
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प्रो. आनंद मिश्रा (शहरी नियोजन विशेषज्ञ, दिल्ली विश्वविद्यालय):
“बैंकिंग जैसे सार्वजनिक संस्थान में हर दिन भारी संख्या में ग्राहक आते हैं। यदि वहाँ पार्किंग नहीं है, तो यह सीधे-सीधे शहरी अव्यवस्था को जन्म देता है।” -
पूर्व बैंक अधिकारी एम.के. सिंह:
“बैंक केवल लाभ पर ध्यान देते हैं। जबकि ग्राहक सुविधा उनके बिजनेस मॉडल का हिस्सा होना चाहिए। भविष्य में भवन निर्माण अनुमति के साथ-साथ ग्राहकों की सुविधा को भी ध्यान में रखना जरूरी है।”
संभावित समाधान और सुधार के रास्ते
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नगर निगम और आरबीआई की सख़्ती – बैंक शाखाओं को पार्किंग सुविधा अनिवार्य की जाए, नहीं तो लाइसेंस पर जुर्माना लगे।
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भवन मालिक की जिम्मेदारी – किराए की इमारतों में संचालित शाखाओं के लिए भवन मालिक को पार्किंग स्थल देना होगा।
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स्मार्ट पार्किंग सिस्टम – शहरों में ऐप-आधारित स्मार्ट पार्किंग लागू की जाए, जिससे ग्राहक नज़दीकी पार्किंग आसानी से ढूँढ सकें।
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डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा – ग्राहकों को छोटी सेवाओं के लिए डिजिटल साधनों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि शाखाओं पर भीड़ कम हो।
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मल्टी-लेवल पार्किंग स्थल – नगर निगम बैंकों के क्लस्टर वाले क्षेत्रों में सामूहिक पार्किंग स्थल बनाए।
बैंकों में पार्किंग की सुविधा का अभाव अब केवल एक असुविधा नहीं, बल्कि शहरी यातायात और सुरक्षा की गंभीर समस्या बन चुका है। आँकड़े और केस-स्टडी यह दिखाते हैं कि देश के बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक यह समस्या व्यापक रूप से मौजूद है।
जरूरत है कि बैंक प्रबंधन, भवन मालिक और स्थानीय प्रशासन मिलकर तत्काल कदम उठाएँ। ग्राहकों की उम्मीद यही है कि जिस संस्था पर वे अपने धन की सुरक्षा का भरोसा करते हैं, वह संस्था उनके लिए सुरक्षित और सुविधाजनक वातावरण भी उपलब्ध कराए।