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संपादकीय

सहारा में जिन लोगों के रुपये फंसे हुए थे, उन्हें अब पारदर्शी तरीके से उनके रुपये वापस मिलेंगे !!!

संपादकीय - Black & Red Files :- विशेष रिपोर्ट

नई दिल्ली :  सहारा में जिन लोगों का पैसा फंसा हुआ है, उनके पैसे वापस पाने के लिए एक पोर्टल लॉन्च किया गया। पोर्टल का उद्घाटन आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 18 जुलाई को सुबह 11 बजे अटल अक्षय ऊर्जा भवन में किया गया।

सहारा इंडिया का विवाद 2009 का है। यह विवाद सहारा की दो कंपनियों सहारा हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन से जुड़ा है। जब कंपनियों ने अपने IPO लाने के लिए आवेदन किया था।

IPO आते ही सहारा की पोल खुल गई थी। सहारा ने निवेशकों से गलत तरीके से 24,000 करोड़ रुपये जुटाए थे।

सेबी को सहारा के सौदों में कई अनियमितताएं मिलीं, जिसकी जांच के बाद एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ। सेबी ने सहारा को निवेशकों का पैसा ब्याज के साथ लौटाने का निर्देश दिया। आज, लाखों निवेशक अभी भी अपने पैसे वापस पाने का इंतजार कर रहे हैं।

मोदी सरकार ने आज करोड़ों लोगों को आशा की नई किरण दी है। सहारा सहकारी समितियों में जिन लोगों के रुपये फंसे हुए थे, उन्हें अब पारदर्शी तरीके से उनके रुपये वापस मिलेंगे।

इसके लिए आज ‘सहारा रिफंड पोर्टल’ लॉन्च किया जिस पर निवेशक रिफंड के लिए अप्लाई कर सकते हैं। डॉक्यूमेंट वेरीफाई होने के बाद राशि सीधे जमाकर्ताओं के आधार से जुड़े बैंक खाते में ट्रांस्फर कर दी जाएगी।

उन निवेशकों के पैसे वापस मिलेंगे, जिनके निवेश की अवधि पूरी हो चुकी है. किस तरह से निवेशकों को उनके पैसे वापस मिलेंगे. इस पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम पारदर्शी तरीके 5,000 करोड़ रुपये के भुगतान की शुरुआत कर रहे हैं. इससे अनेक पीड़ित परिवारों में खुशियां आएंगी।

इस पोर्टल का मकसद निवेशकों का पैसा लौटाना है। जिन निवेशकों की योजना अवधि समाप्त हो गई है, वे इस पोर्टल के माध्यम से अपना पैसा वापस प्राप्त कर सकेंगे। आइए जानें क्या है प्रक्रिया।

सहारा इंडिया में देश के लाखों नागरिकों का पैसा फंसा हुआ है। सहारा की कई कंपनियों में लोगों का पैसा फंसा हुआ है और वे लंबे समय से पैसा वापस मिलने का इंतजार कर रहे हैं। जिन लोगों ने अपनी निवेश अवधि पूरी कर ली है, उन्हें जल्द से जल्द पैसा वापस मिल जाएगा। इसके लिए सरकार रिफंड पोर्टल लॉन्च कर रही है।

सहारा इंडिया के निवेशकों ने इस मामले में सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी।

 

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