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कुश्ती प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह ने यौन उत्पीड़न के आरोपों से इनकार किया !!!

महिला पुलिसकर्मी करेंगी एसआईटी की जांच !!

Editorial :  भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगा है। यह आरोप टोकियो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया और विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट ने लगाया है। आरोप लगाने वाले पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और धरने पर बैठ गये हैं।  भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है।

लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल को सूचित किया कि पुलिस द्वारा सीलबंद लिफाफे में एक स्थिति रिपोर्ट भी दायर की गई है। मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी ।

बृजभूषण सिंह गोंडा की कैसरगंज लोकसभा सीट से सांसद हैं। अवध के गोंडा, अयोध्या, बहराइच, बस्ती और बलरामपुर जिलों में वो एक दबंग नेता के तौर पर जाने जाते हैं। छात्र जीवन में ही बृजभूषण काफी लोकप्रिय नेता बन चुके थे। 

दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि एसआईटी का नेतृत्व एक वरिष्ठ महिला अधिकारी करेंगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “चार महिला पुलिस अधिकारियों सहित छह पुलिस टीमों के साथ एक एसआईटी बनाई गई है।”

एक बार वो अपने कॉलेज की तरफ जा रहे थे इसी दौरान कुछ गुंडे एक लड़की को छेड़ रहे थे और कोई भी उस लड़की की मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था ऐसे में बृजभूषण शरण सिंह ने उन गुंडों की पिटाई कर उस लड़की को बचाया था, जिसके बाद से वो युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो गए थे। इसके बाद साल 1979 में हुए छात्र संघ के चुनाव को बृजभूषण शरण ने रिकॉर्ड मतों से जीता था।

यह भी पता चला है कि दिल्ली पुलिस की टीमों ने पहलवानों द्वारा दायर शिकायत के आधार पर साक्ष्य एकत्र करने के लिए उत्तर प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक और हरियाणा का दौरा किया।

वे दिल्ली जंतर मंतर पर दूसरे धरने के बीच में हैं, इस बार पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगा रहे हैं। पहलवानों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

बृजभूषण शरण सिंह का बचपन पारिवारिक दुश्मनी के बीच बीता था उनके चार भाइयों की मौत के बाद उनके परिजन हमेशा चिंतित थे कि कहीं बृजभूषण भी पारिवारिक दुश्मनी का शिकार न बन जाएं, इसलिए उन्हें 16 साल की उम्र में पढ़ाई करने के लिए उन्हें ननिहाल भेज दिया था।

कानून के अनुसार, निष्क्रियता ने शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन किया कि जांच एजेंसियों को एक संज्ञेय अपराध के बारे में शिकायत मिलने पर प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए।

सूत्रों ने कहा कि सहायक सचिव (डब्ल्यूएफआई) विनोद तोमर – एक अन्य आरोपी – से मामले में पूछताछ की गई है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा: “एसआईटी द्वारा सिंह से और पूछताछ की जाएगी। उन्हें कुछ दस्तावेज पेश करने के लिए कहा गया है और उन्हें फिर से तलब किया जाएगा।

पारिवारिक दुश्मनों ने उनके पैृतक घर को भी गिरा दिया। इस घटना के कुछ साल बाद बृजभूषण सिंह ने स्कूल की पढ़ाई पूरी की और आगे की पढ़ाई के लिए एक बार फिर अपने गांव लौट आए

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