Advertisement
बिहार

‘‘लोगों ने मुझे तोड़ने की कोशिश की। मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं और उसे तोड़ा नहीं जा सकता।

S K Singh-Editor-In-Chief

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घोर विरोधी रहे लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने रविवार को कहा कि राष्ट्र हित में एक बडे लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए लगातार तीसरा कार्यकाल सुनिश्चित करने के उद्देश्य से वह जदयू अध्यक्ष के साथ आए हैं। अपने पिता की विरासत को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस और चचेरे भाई प्रिंस राज पर विश्वासघात करने का आरोप लगाया। उन्होंने रिश्तों में आयी दरार के लिए उनकी ‘‘व्यक्तिगत’’ महत्वाकांक्षाओं को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि बेगानों की तरह उनके व्यवहार ने उन्हें स्तब्ध कर दिया है।

‘‘लोगों ने मुझे तोड़ने की कोशिश की। मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं और उसे तोड़ा नहीं जा सकता- चिराग पासवान 

चिराग ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार के दौरान उन अफवाहों को खारिज कर दिया कि भाजपा के साथ चुनाव लड़ने से पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद)के साथ जाने वाले थे। हालांकि, स्वीकार किया कि अलग-अलग राजनीतिक लक्ष्य होने के बावजूद उनके लालू प्रसाद और उनके छोटे पुत्र तेजस्वी यादव से बेहतर संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘राजनीति के एक छात्र के रूप में, मैंने जो पहला सबक सीखा है, वह है राष्ट्रीय हित को किसी की पार्टी या स्वयं के हितों से ऊपर रखना। मेरा मानना है कि राष्ट्रीय हित में मेरे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का तीसरी बार जीतना जरूरी है। उनके प्रधानमंत्री बनने के लिए हमें गठबंधन के हितों को साधना जरूरी है।’’ चिराग ने कहा, ‘‘ गठबंधन में रहते हुए आपसी मतभेदों में उलझना एक बडी चूक होगी और इसका लाभ विपक्ष को होगा। हम में इतनी परिपक्वता है और मुख्यमंत्री जी को भी यह एहसास है कि हम विपक्ष को राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के भीतर के किसी भी अंदरूनी कलह को भुनाने का मौका नहीं दे सकते।’’

जमुई से दो बार के सांसद और इसबार अपने दिवंगत पिता के चुनावी क्षेत्र हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ रहे पासवान ने कहा, ‘‘मुझ पर भरोसा जताने के लिए मैं प्रधानमंत्री और राज्य में राजग के सभी सहयोगियों का आभारी हूं। मेरी पार्टी यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राजग पूरे देश में 400 से अधिक और बिहार की सभी 40 सीटें जीते।’’ राजग में सीट बंटवारे के तहत चिराग की पार्टी को पांच सीट दिए जाने से नाराज हाजीपुर के मौजूदा सांसद पारस ने हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। चिराग 2021 के विभाजन से पहले लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उनके चाचा पारस ने दावा किया था कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में अपने बल पर अकेले चुनाव लड़ने का चिराग का फैसला गलत था। इस बारे में पूछे जाने पर चिराग ने कहा, ‘‘पार्टी में सभी ने विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने के मेरे फैसले का समर्थन किया था क्योंकि हमें केवल 15 सीट की पेशकश की गई थी, जो अपमानजनक था।’’

चिराग ने कहा, ‘‘मुझे गर्व है कि मैं शेर के बच्चे की तरह लड़ा। जहां तक मेरे चाचा की बात है, मैं अपने पिता के निधन के दुख से उबर भी नहीं पाया था कि उन्होंने अपनी व्यक्तिगत महात्वाकांक्षाओं के कारण मुझसे मुंह फेर लिया। उन्हें डर था कि मेरे पिता की मृत्यु के बाद खाली हुई कैबिनेट में मेरे नाम पर विचार किया जा सकता है, इसलिए उन्होंने विद्रोह किया और अपने विश्वासघात के कृत्य का बचाव करने के लिए तरह-तरह की दलीलें पेश कीं।’’

अपने चाचा और चचेरे भाई के साथ रिश्तों में आयी दरार के भविष्य में खत्म होने की संभावनाओं के प्रति अनिश्चित चिराग पासवान ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी को ‘‘हमेशा मेरे साथ खड़े रहने’’ के लिए जितना भी धन्यवाद दूं, वह कम होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता की मृत्यु के बाद परिवार का सबसे बड़ा सदस्य होने के नाते, सभी को साथ लेकर चलना उनकी (पारस) जिम्मेदारी थी। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। हमारे रिश्ते में जो दरार आ गई हैं वह कायम रहेंगी। लोगों ने मुझे तोड़ने की कोशिश की। मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं और उसे तोड़ा नहीं जा सकता। मैं अपने पिता के सपनों को साकार करूंगा और बिहार बदलाव के लिए ‘‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के लिए काम करूंगा।’’

आने वाले भविष्य में अपने चाचा के साथ सुलह की संभावना के बारे में पूछे जाने पर चिराग पासवान ने कहा, ‘‘यह केवल मुझ पर निर्भर नहीं है। इसमें कई अन्य लोग भी शामिल हैं, जैसे मेरी मां, मेरी बहनें और मेरी बुआ। भविष्य में क्या होगा इसके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। उनसे (उनके चाचा से) भी यही सवाल पूछा जाना चाहिए।’’ चिराग पासवान ने कहा, ‘‘एक समय ऐसा आया जब लोगों ने प्रधानमंत्री के साथ हमारे रिश्ते (मोदी के हनुमान) को लेकर ताना देना शुरू कर दिया था। जिन लोगोंने मुझे राजनीतिक श्रद्धांजलि देनी शुरू कर दी थी, उन्हें चुप करा दिया गया है।’’

केंद्र में सत्तारूढ़ सरकार पर कथित तौर पर धर्म को राजनीति के साथ मिलाने की कोशिश करने के विपक्ष के आरोपों पर टिप्पणी करते हुए चिराग ने कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से महसूस करता हूं कि धर्म और राजनीति को बिल्कुल भी नहीं मिलाया जाना चाहिए। धर्म पूरी तरह से एक व्यक्तिगत मामला है और इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। धर्म का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए बिल्कुल भी नहीं किया जाना चाहिए। आस्था व्यक्तिगत मामला है, इसका राजनीतिकरण करना ठीक नहीं है।’’

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार की पिछली ‘महागठबंधन’ सरकार ने राज्य में जाति सर्वेक्षण कराया था। इस बारे में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चिराग पासवान ने कहा, ‘‘मैं जाति सर्वेक्षण के पक्ष में हूं। लेकिन एक बात मुझे अवश्य कहनी चाहिए कि मैं इसके पक्ष में नहीं हूं कि उसके आंकडे सार्वजनिक किये जाएं। सरकार को जाति सर्वेक्षण तो कराना ही चाहिए लेकिन आंकडों का इस्तेमाल समाज में असमानता दूर करने के लिए कल्याणकारी कदम उठाने में भी करना चाहिए। हर सरकार को प्रत्येक जाति के बारे में आंकडे रखने चाहिए… लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए… एक बार जब आप इसे सार्वजनिक कर देते हैं तो इसका दुरुपयोग शुरू हो जाता है। इसलिए, मैं इसे सार्वजनिक करने के खिलाफ हूं।

डिस्क्लेमर:   संक्रांति मीडिया ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}