लाभकारी एमएसपी के सवाल पर मोदी सरकार नें फिर दिया किसानों को धोखा, धान उत्पादक किसानों को प्रति हेक्टेयर ₹27340/- रुपयों का नुकसान:- किसान सभा !!!
संजय मिश्रा
रायपुर-छत्तीसगढ़:- अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा नें लाभकारी समर्थन मूल्य के सवाल पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर फिर किसानों के साथ धोखाधड़ी करनें का आरोप लगाया है, किसान सभा नें कहा है कि खरीफ सीजन 2023-24 के लिए मोदी सरकार नें विभिन्न फसलों के लिए जिस न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की है, वह अनुचित है, किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरती है, और उनकी आय को भारी नुकसान पहुंचाती है।
किसान सभा का कहना है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी नें किसानों की आय को दोगुना करनें का वादा किया था, लेकिन इसके बजाए यह घोषित एमएसपी बढ़ती इनपुट लागत के साथ किसानों के बड़े हिस्से को ऋणग्रस्तता में धकेल देगी, क्योंकि किसी भी फसल का समर्थन मूल्य स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले सी-2+50% के अनुसार तय नहीं किया गया है।
मोदी सरकार द्वारा घोषित एमएसपी पर किसानों को हो रहे नुकसान की तालिका जारी करते हुए आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता नें कहा है कि मोदी सरकार द्वारा सी-2+50 प्रतिशत का फार्मूला लागू नहीं करनें के कारण धान उत्पादक किसानों को लगभग ₹683.5 रुपये/क्विंटल का नुकसान हुआ है।
यदि सरकारी अनुमान लगभग 04 टन/हेक्टेयर को उत्पादकता के रूप में गणना में लिया जाएं और सी-2 लागतों को ध्यान में रखा जाए, तो यह नुकसान ₹27340 रुपये/हेक्टेयर के बराबर होगा।
उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश, बिहार, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल सरकारों नें धान के लिए उत्पादन लागत का अनुमान कृषि मूल्य निर्धारण आयोग (सीएसीपी) के अनुमानों से अधिक लगाया है।
केरल राज्य द्वारा धान के लिए अनुमानित सी-2 लागत ₹2847 रुपये/क्विंटल है, सीएसीपी का प्रोजेक्शन केवल ₹2338 रुपये/क्विंटल है।
इसी तरह, सी-2 लागत का पंजाब राज्य का अनुमान ₹2089 रुपये/क्विंटल है, जबकि सीएसीपी इसे केवल ₹1462 रुपये/क्विंटल ही प्रोजेक्ट करता है।
इस प्रकार सीएसीपी पहले राज्यों में उत्पादन लागत के अनुमान को कम करनें की भूमिका निभाता है, और फिर अखिल भारतीय लागत अनुमानों पर पहुंचनें के लिए भारित औसत लेता है।
यदि राज्यों द्वारा सुझाए गए औसत एमएसपी को ध्यान में रखा जाए, तो धान की एमएसपी ₹2960 रुपये/क्विंटल होता है।
भाजपा सरकार की घोषणा राज्यों के औसत से ₹776 रुपये/क्विंटल कम है, अन्य फसलों के लिए भी यही बात लागू होती है।
किसान सभा के नेताओं नें कहा कि लागत की गणना में ही सबसे पहले किसानों को ठगा जाता है, छत्तीसगढ़ जैसे उच्च उत्पादन लागत वाले राज्य में भारित औसत लागत निश्चित रूप से वास्तविक लागत से कम होती है और यह दूसरी बार किसानों को धोखा देना है।
तीसरी बार किसानों को धोखा तब दिया जाता है, जब ज्यादातर मामलों में इस कीमत पर भी कोई सुनिश्चित खरीद नहीं होती है। इसके अलावा, सीएसीपी और भाजपा सरकार उन राज्यों को और हतोत्साहित करती है, जो उत्पादन बोनस या प्रोत्साहन देते हैं।
छत्तीसगढ़ किसान सभा नें मांग की है कि भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार घोषित एमएसपी में संशोधन करे और इसे सी-2+50 प्रतिशत फॉर्मूले के अनुसार घोषित करें और सुनिश्चित खरीद का आश्वासन भी दे।