छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की एक एकड़ में अब बीस क्विंटल धान खरीदी की है घोषणा
गांव के किसानों ने कहा अब धान की बिक्री और बोनस दोनों में फायदा मिलेगा...
रायगढ़ (छत्तीसगढ़- Bureau ) : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नें विधानसभा में किसानों के हित में बड़ी घोषणा करते हुए प्रति एकड़ बीस क्विंटल धान के समर्थन मूल्य पर खरीदी करनें की घोषणा की।मुख्यमंत्री बघेल नें कहा कि हमारे राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हमारे किसान भाई हैं।
उन्होंने कहा कि भेंट-मुलाकात के दौरान जहाँ भी गया किसानों की एक ही मांग थी, समर्थन मूल्य पर प्रति एकड़ बीस क्विंटल धान की खरीदी की जाए।किसानों के मांग अनुरूप धान की बिक्री सीमा पंद्रह क्विंटल से बढ़ाकर अब बीस क्विंटल कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा की गई इस घोषणा से जिले के किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है, किसानों नें खुशी जाहिर करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के किसान हितैषी फैसलों से छत्तीसगढ़ के किसानों में बेहद खुशी है, किसानों की ऋण माफी की राजीव गांधी किसान न्याय योजना से किसानों को सशक्त बनाया, कभी हमनें सोचा नहीं था कि गोबर एवं गौमूत्र बेचकर भी इसका फायदा उठाएंगे, प्रति एकड़ बीस क्विंटल धान के समर्थन मूल्य पर खरीदी की घोषणा को सुनकर सभी किसानों नें मुख्यमंत्री को अपना धन्यवाद ज्ञापित किया है।
ग्राम-जुर्डा के किसान ललित राठिया नें बताया कि वे अपनें पाँच एकड़ भूमि में धान एवं सब्जी फसल की खेती करते है, मुख्यमंत्री नें जब प्रति एकड़ बीस क्विंटल धान के समर्थन मूल्य पर खरीदी करनें की घोषणा की तो सुनकर बेहद खुशी महसूस हुई, क्योंकि पंद्रह क्विंटल धान बेचनें के बाद हमारे पास धान बच जाता था, जिसको हमें औनें-पौनें दामों में बेचना पड़ता था, जिससे काफी नुकसान होता था।
ग्राम-सकरबोगा के किसान दुखीराम सरकार के इस फैसले से खुश हैं, उन्होंने कहा कि अब इससे हम पूरा धान की बिक्री कर सकेंगे और हमें बोनस का भी फायदा मिलेगा।
इसी तरह कृषक नवीन सिदार शासन के इस फैसले से बहुत खुश हुए, उन्होंने बताया कि उनका पूरा परिवार खेती-किसानी पर निर्भर है, वे अपना पूरा धान सहकारी समिति में विक्रय करते है, उनका कहना था कि पंद्रह क्विंटल धान बेचनें के बाद धान बच जाता था, जिसको घर में रखनें से परेशानी होती थी या तो बचे धान को कम कीमत पर बेचना पड़ता था, जिसकी वजह से काफी नुकसान होता था, वहीं बोनस का लाभ भी नहीं मिल पाता था।