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छत्तीसगढ़

समय पर मुआवजा की राशि का किया गया होता भुगतान, तो नहीं आती खुदकुशी की नौबत !!!

संजय मिश्रा

ऊर्जाधानी संगठन नें आत्महत्या मामले में मुख्य सचिव को लिखा पत्र…

कुसमुंडा-कोरबा-छत्तीसगढ़:- एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र अंतर्गत निवासरत दिलहरण पटेल की आत्महत्या मामले में ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति अध्यक्ष सपुरन कुलदीप नें छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि एसईसीएल के कुसमुंडा क्षेत्र से प्रभावित एवं अर्जित ग्राम जटराज चंद्रनगर का निवासी दिलहरण पटेल द्वारा जहर का सेवन कर लेनें से मौत हो गई है, इलाज के दौरान दिलहरण पटेल द्वारा स्वयं और उनके परिजनों नें जिस तरह आरोप लगाया है उससे स्पष्ट होता है कि एसईसीएल प्रबंधन उसकी मौत के लिए जिम्मेदार हैं।

उनका आरोप था कि उनकी जमीन अर्जन कर लेनें के बाद प्रबंधन के द्वारा रोजगार मुआवजा देनें में आनाकानी किया जा रहा था, जबकि वह अपनीं बेटी की शादी और अन्य कारणों से ली गई कर्ज से परेशान हो गया था तथा समय पर उसको मुआवजा की राशि नहीं दी गई यह जमीन बंधक बनाकर रखनें का केवल एक उदाहरण है, एसईसीएल में 30 सालों पूर्व अर्जन के एवज में दी जानें वाली रोजगार के प्रकरण लंबित रखा गया है, इसी तरह से पुनर्वास नीति का पालन करनें के बजाए अपनें सुविधा अनुसार नीतियां अपनानें के कारण हजारों किसानों को रोजगार और मुआवजा के लिए भटकना पड़ रहा है, रोजगार बसाहट और मुआवजा के लिए प्रभावितों की मांग को दरकिनार कर मामलों को लंबित बनाकर रखे जाने के कारण ही ऐसी विषम परिस्थिति निर्मित हुआ है, जिसके कारण आए दिन प्रभावित लोगों के द्वारा इस शिकायत को लेकर आवेदन और आंदोलन को बाध्य होकर संवैधानिक तरीके से प्रतिरोध कार्यवाही किया जा रहा है, जिला प्रशासन के द्वारा कई बार एसईसीएल को समस्याओं के समाधान के लिए निर्देश जारी होनें के बावजूद कार्यवाही नहीं की जाती है।

उन्होंने मांग की है कि दिलहरण पटेल के परिवार को न्याय दिलाई जाए पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए जिससे ऐसी घटना की पुनरावृत्ति को रोका जा सके एसईसीएल प्रबंधन के द्वारा पुनर्वास नीतियों को अलग-अलग व अपने तरीके से लागू कर जमीन खोने वाले भूविस्थापित परिवारों को नौकरी वसाहट और मुआवजा से वंचित करने की शिकायतों को संज्ञान में लेकर समस्त समस्याओं का समाधान किया जाए।

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