पुनर्वास गांव गंगानगर में बुनियादी सुविधाएं देनें और बेरोजगारों को रोजगार देनें की मांग: कल गेवरा एसईसीएल का घेराव करेगी माकपा !!!
संजय मिश्रा
गेवरा-कोरबा-छत्तीसगढ़:-मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और छत्तीसगढ़ किसान सभा नें घाटमुड़ा से भू-विस्थापित और गंगानगर में पुनर्वासित परिवारों की लंबित समस्याओं को लेकर गेवरा एसईसीएल कार्यालय का कल 15 जून को घेराव करनें की घोषणा की है, इस संबंध में एक ज्ञापन भी महाप्रबंधक एस.के. मोहंती को सौंपा गया है।
उल्लेखनीय है कि एसईसीएल की गेवरा परियोजना के लिए वर्ष 1980-81 में घाटमुड़ा के 75 परिवारों को विस्थापित किया गया था तथा 25 एकड़ के प्लॉट में गंगानगर ग्राम में उन्हें बसाया गया था, लेकिन पुनर्वास के 40 सालों बाद भी यह गांव बुनियादी मानवीय सुविधाओं स्कूल, आंगनबाड़ी, अस्पताल, बिजली, पानी, सड़क, स्ट्रीट लाइट, गौठान, मनोरंजन गृह, पार्क, तालाब, खेल मैदान आदि से वंचित हैं, जिसे उपलब्ध करानें की जिम्मेदारी एसईसीएल प्रबंधन की थी।
एसईसीएल की इस उदासीनता के खिलाफ माकपा के झंडे तले पिछले दो सालों से ग्रामीण लगातार आंदोलन कर रहे हैं।
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा नें कहा कि जहां एसईसीएल गेवरा में दुनिया के सबसे बड़े कोयला खदान के संचालन और सबसे ज्यादा कोयला के उत्पादन का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर गेवरा खदान के लिए जमीन देनें वाले भू-विस्थापित परिवार रोजगार के साथ बुनियादी सुविधाएं पानें के लिए भटक रहे है, जमीन अधिग्रहण के बाद गांव में बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
किसान सभा के जिलाअध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर आदि नें कहा है कि विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दिए गए परिवारों की दशा बदतर हो गई है, कोयला खदानों के अस्तित्व में आ जानें के बाद इन विस्थापित किसानों और उनके परिवारों की सुध ना तो एसईसीएल और ना ही सरकार नें ली है।इसलिए भू-विस्थापित परिवारों के पास अपनें अधिकारों को पानें के लिए संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।
ज्ञापन सौंपनें में प्रमुख रूप से माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर, किसान सभा के जिलाअध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, संजय यादव, देवकुंवर, जानकुंवर, शशि कंवर, रूपा बाई, गणेशकुंवर, सुमित्रा, पुरुषोत्तम, संतोषी, पुष्पा, बनवासा बाई, बसंतबाई, चमरिन बाई, संतरा बाई, सुनीबाई, जानकी यादव, अहिल्या, रामकली, लक्षन बाई के साथ बड़ी संख्या में गंगानगर के भू-विस्थापित उपस्थित थे।