महात्मा फुले यह समझते थे कि एक स्त्री की शिक्षा पूरे परिवार की शिक्षा होती है !!!
भारत का पहला लड़कियों का स्कूल शुरू किया !!
Editorial : कहा जाता है कि ज्योतिबा फुले माला और हार बनाने के लिए सतारा से आए थे। फुले ने अपनी शिक्षा मराठी और फिर अंग्रेजी से प्राप्त की। ज्योतिबा फुले एक महान समाज सुधारक, लेखक बने !!!
* जन्म:- 11 अप्रैल 1827 खानवाडी, पुणे, ब्रिटिश भारत (अब महाराष्ट्र में)
* मृत्यु:- 28 नवम्बर 1890 (उम्र 63) पुणे, ब्रिटिश भारत
* अन्य नाम:- महात्मा फुले, जोतिबा फुले, जोतिराव फुले
* जीवनसाथी:- सावित्रीबाई फुले
आज हम महान समाजसेवी क्रांतिकारी महात्मा ज्योतिबा फुले के कुछ अच्छे विचार देखने जा रहे हैं।
महात्मा फुले यह समझते थे कि एक स्त्री की शिक्षा पूरे परिवार की शिक्षा होती है। इसीलिए उन्होंने पुणे के भिड़ेवाड़ा में भारत का पहला लड़कियों का स्कूल शुरू किया।
महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म पुणे में हुआ था। उन्होंने वहां पढ़ाई की। महात्मा ज्योतिबा फुले इस बात से अच्छी तरह वाकिफ थे कि समाज को शिक्षित किए बिना समाज से जाति व्यवस्था या भेदभाव खत्म नहीं होगा। एक महिला की शिक्षा केवल एक परिवार की शिक्षा होती है।महात्मा फुले ने इसे समझा। इसीलिए उन्होंने पुणे के भिड़ेवाड़ा में भारत का पहला लड़कियों का स्कूल शुरू किया।
सरस्वती कम्प्यूटर एज्युकेशन संस्था ( iidbii – नई दिल्ली, द्वारा अधिकृत ) द्वारा महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया गया । संस्था के प्रमुख्य यादव माली के द्वारा महात्मा ज्योतिबा फुले के विचारो को विद्यार्थीयो को बताया गया ।
महात्मा ज्योतिबा फुले जी का मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है।फुले समाज की कुप्रथा, अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे, अपना सम्पूर्ण जीवन उन्होंने स्त्रियों को शिक्षा प्रदान करानें में, स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करनें में व्यतीत किया, १९वी सदी में स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी, फुले महिलाओं को स्त्री-पुरुष भेदभाव से बचाना चाहते थे।
उन्होंने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे में बनाई थीं, स्त्रियों की तत्कालीन दयनीय स्थिति से फुले बहुत व्याकुल और दुखी होते थे इसीलिए उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि वे समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाकर ही रहेंगे।
उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षा प्रदान की, सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापिका थीं।