Advertisement
Sankranti-News

“प्रसिद्ध लेखक श्रीनाथ खंडेलवाल की उपेक्षित अंत कहानी”

जावेद अत्तार : ब्यूरो चीफ

मुंबई: माता-पिता अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए जीवन भर प्रयास करते हैं, वे चाहते हैं कि वे सफलता के शिखर पर पहुँचें, क्षितिज से परे छलांग लगाएँ। बदले में, उनकी एकमात्र मामूली अपेक्षा यह है कि बच्चे उनके बुढ़ापे में सहारा बनें।लेकिन कुछ माता-पिता इतने भाग्यशाली नहीं होते।

एक ऐसी ही दिमाग सुन्न कर देने वाली घटना गुजरात से सामने आई है। गुजरात के साहित्य क्षेत्र का बड़ा नाम, 80 करोड़ की संपत्ति के मालिक, प्रसिद्ध लेखक श्रीनाथ खंडेलवाल का एक अनाथालय में निधन हो गया। दुर्भाग्य की बात यह है कि श्रीनाथ खंडेलवाल का बेटा एक बड़ा बिजनेसमैन है, बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील है, फिर भी उनके अंतिम समय में अंतिम संस्कार के लिए कोई नहीं आया।
श्रीनाथ खंडेलवाल एक लेखक होने के साथ-साथ एक आध्यात्मिक व्यक्ति भी थे।

उन्होंने शिवपुराण और तंत्रविद्या पर कई किताबें लिखी थीं। उनके दिन और रात साहित्य और अध्यात्म में बीतते थे। इसका फायदा उठाकर उनके बेटे और बेटी ने उनकी सारी संपत्ति हड़प ली और उन्हें अकेला छोड़ दिया। इसके बाद कुछ सामाजिक संगठनों ने पहल की और उन्हें काशी के वृद्धाश्रम में रखा। इस वृद्धाश्रम में करीब दस माह तक रहने पर उन्हें निःशुल्क सेवायें प्रदान की जाती थीं। लेकिन एक बार भी उनके परिवार का कोई भी सदस्य उनसे मिलने वहां नहीं आया।

श्रीनाथ खंडेलवाल खंडेलवाल को साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 2023 में पद्यश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। खंडेलवाल का शनिवार सुबह निधन हो गया। उन्होंने 80 साल की उम्र में एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली। श्रीनाथ खंडेलवाल ने लगभग 400 पुस्तकें लिखीं और उनका अनुवाद किया। उनकी मृत्यु के बाद भी उनके बच्चे अंतिम संस्कार के लिए नहीं आए। जैसे ही उनके परिवार को उनकी मृत्यु के बारे में पता चला, उन्होंने आने से इनकार कर दिया। आख़िरकार सामाजिक कार्यकर्ता अमन ने चंदा इकट्ठा कर अंतिम संस्कार किया।

मरहूम  श्रीनाथ खंडेलवाल ने अपनी लेखनी से भारतीय साहित्य को समृद्ध किया। उन्होंने शिव पुराण, मत्स्य पुराण जैसे बहुमूल्य ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद किया है। उनके द्वारा लिखित 3000 पेज का मत्स्य पुराण आज भी विद्वानों के बीच लोकप्रिय है। उन्होंने न केवल धार्मिक ग्रंथों पर काम किया, बल्कि आधुनिक साहित्य और इतिहास पर भी कई किताबें लिखीं। उनकी पुस्तकें हिंदी, संस्कृत, असमिया और बंगाली भाषाओं में उपलब्ध हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}