“उद्योग जगत के महानायक रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन, उद्योग और समाज में शोक”
जावेद अत्तार : ब्यूरो चीफ

मुंबई: पिच्छले कई दशकों तक उद्योग जगत में काम करने के बावजूद समाज सेवा की भावना से ओत-प्रोत दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया है। वह 86 वर्ष के थे। पिछले कई दिनों से उनकी तबीयत खराब थी।नका इलाज मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में चल रहा है। लेकिन बुधवार शाम को उनकी मौत हो गई। उनके निधन से इंडस्ट्री में शोक छा गया है। टाटा ने अपने काम से न सिर्फ देश बल्कि दुनिया में भी छाप छोड़ी।
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1936 को मुंबई में हुआ था। जब टाटा 10 वर्ष के थे, तब 1948 में उनके माता-पिता अलग हो गए। फिर उनका पालन-पोषण उनकी दादी ने किया। अजी नवजबाई टाटा ने टाटा को गोद ले लिया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में हुई। उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा बिशप कॉटन स्कूल, शिमला, फिर कॉर्नेल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर और हार्वर्ड बिजनेस कॉलेज से पूरी की। अमेरिका में अपने दस साल के प्रवास के दौरान रतन टाटा ने रेस्तरां में बर्तन साफ़ करने से लेकर लिपिकीय नौकरी तक सब कुछ किया।
रतन टाटा की ईमानदारी और मेहनत को देखकर जेआरडी ने रतन टाटा को टाटा ग्रुप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। रतन टाटा ने अपने औद्योगिक करियर की शुरुआत 1961 में टाटा स्टील से की थी। टाटा ने ग्रुप को अलग ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए कड़ी मेहनत की।
जिस वर्ष टाटा ने समूह के अध्यक्ष का पद संभाला वह भारत के लिए कठिन था। प्रधानमंत्री वीपी सिंह और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत द्वारा निजीकरण और उदारीकरण की नीति अपनाने के बाद रतन टाटा ने टाटा समूह की अध्यक्षता संभाली। उन्होंने 1990 से 2012 तक समूह के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक समूह के अंतरिम अध्यक्ष रहे। आज टाटा समूह की 80 देशों में 100 कंपनियां हैं और 1.4 मिलियन कर्मचारी कार्यरत हैं।
रतन टाटा अपनी परोपकारिता और परोपकारिता के लिए जाने जाते थे। वह हर साल अपनी कमाई का एक निश्चित हिस्सा दान में खर्च करते थे। चार साल पहले जब देश कोविड संकट से जूझ रहा था तब रतन टाटा ने पीएम केयर फंड में 100 करोड़ रुपये दिए थे।