नई दिल्ली : “भारत का विकास और उन्नति निर्विवाद है, लेकिन यह ऐसे समय में हो रहा है जो बहुत अलग है। मानव जाति के इतिहास में यह पहली बार है कि एक बड़ा देश एक ऐसे वातावरण में एक विकसित राष्ट्र, विकसितभारत@2047 बनने के लिए प्रयास कर रहा हैं जहां जलवायु परिवर्तन मौजूद खतरा है और एआई जैसे तकनीकी परिवर्तन चुनौतियां भी हैं।, “बीवीआर सुब्रमण्यम, नीति आयोग के सीईओ ने डब्लूआरआई इंडिया के प्रमुख कार्यक्रम कनेक्ट करो 2024 में कहा।
सुब्रमण्यम ने पहले दिन के पूर्ण सत्र ‘भारत में कम कार्बन समान विकास के मार्ग‘ में कहा, “यह भारत के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण समय में से एक है हमारे सामने विकास, नौकरियों और ऊर्जा खपत की चुनौती है जिसे हमें पर्यावरण संबंधी विचारों के साथ संतुलित करना होगा। यह अब विकास या संवहनीयता (सस्टेनेबिलिटी) के बारे में नहीं है, बल्कि विकास और संवहनीयता के बारे में है। और इन चुनौतियों के समाधान के लिए भारत की प्रतिबद्धता दिखाई दे रही है। यदि आप जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (जलवायु परिवर्तन परफॉरमेंस इंडेक्स) को देखें, तो भारत शीर्ष 10 देशों में से एक है, जो अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने की राह पर हैं। और भारत की सफलता अन्य देशों के लिए अनुसरण करने के लिए एक आदर्श होगी।”
सुब्रमण्यम ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि नीति आयोग सभी क्षेत्रों में हरित परिवर्तन का समर्थन करने और शहरों के लिए स्थायी आर्थिक योजनाओं को विकसित करने के लिए रोडमैप बनाकर शुद्ध शून्य (नेट जीरो ) की दिशा में मार्ग विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है।
उमा महादेवन दासगुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव और विकास आयुक्त, कर्नाटक सरकार, जो बुधवार को ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुईं, ने कहा, “हम वेस्ट सेग्रीगेशन जैसे मुद्दों को एक शहरी समस्या के रूप में देखते हैं, लेकिन यह एक ग्रामीण मुद्दा भी है। हमने ग्रामीण कर्नाटक में पहल शुरू की है जहां स्थानीय निकाय अब आखिर तक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए स्वयं सहायता समूहों के साथ काम कर रहे हैं।”
कनेक्ट करो 2024 टिकाऊ शहरों, स्वच्छ ऊर्जा, खाद्य, भूमि और जल, जलवायु कार्रवाई और वित्त से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रतिबद्ध भारतीय और वैश्विक नेताओं को एक साथ लाता है। यह आयोजन इंडिया हैबिटेट सेंटर में हो रहा है, जहां इस दो दिवसीय कार्यक्रम में 150 से अधिक विचारशील नेता, नीति-निर्माता, वित्तीय विशेषज्ञ, शिक्षाविद, वैज्ञानिक और नागरिक समाज के सदस्य भाग ले रहे हैं और हमारे समय की सबसे जरूरी चुनौतियों पर चर्चा कर रहे हैं।
यहां विविध सत्रों में विशेषज्ञों की चर्चाएं, संवादात्मक कार्यशालाएं और प्रमुख वक्ताओं के मुख्य संबोधन हैं। इन सत्रों में परिवर्तनकारी शहरीकरण और हरित विकास के विषयों पर चर्चा की जाएगी, साथ ही जलवायु कार्रवाई, स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण, खाद्य हानि और अपशिष्ट, स्वस्थ सार्वजनिक स्थानों का निर्माण, सुरक्षित सड़कों, जल सुरक्षा, ताप शमन (हीट मिटिगेशन), हरित कौशल विकास, इको-सिटी क्षेत्रों, ट्रांज़िट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट आदि पर सत्र शामिल हैं।
सम्मेलन के महत्व के बारे में बात करते हुए, डब्लूआरआई इंडिया के सीईओ माधव पाई ने कहा, “यह दशक भारत के लिए अपने बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के निवेश को एक नए जलवायु अर्थव्यवस्था के उत्प्रेरक के रूप में आकार देने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। ऐसी अर्थव्यवस्था भारत के महत्वाकांक्षी विकास लक्ष्यों का समर्थन करेगी, युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करेगी और अतिसंवेदनशील नागरिकों को जलवायु परिवर्तन से बढ़ते खतरों से बचाएगी।”
उन्होंने आगे कहा, “इस सामूहिक प्रयास को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग महत्वपूर्ण है। कनेक्ट करो जैसे आयोजन विविध हितधारकों को विचारों का आदान-प्रदान करने और नए शोध पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाता है जो केंद्रित कार्रवाई को सक्षम बनाता है।”
कनेक्ट करो के पहले दिन की प्रमुख बातें:
- भारत के परिवहन क्षेत्र के डीकार्बनाइजेशन के मार्ग: ऊर्जा नीति नमूना (एनर्जी पॉलिसी सिम्युलेटर) का उपयोग करके परिदृश्य विश्लेषण वर्किंग पेपर का अनावरण:
इस विश्लेषण से पता चलता है कि जैसा चल रहा है वैसा चलने देने के परिदृश्य की तुलना में 2050 तक विद्युतिकरण से सीओ2 उत्सर्जन में सबसे अधिक कमी (53%), इसके बाद ईंधन अर्थव्यवस्था सुधारों (21%) और मॉडल में बदलाव (18%) का योगदान है। यदि इन तीनों रणनीतियों को एक साथ लागू किया जाता है, तो यह 2050 तक सीओ2 उत्सर्जन में 71% की कमी ला सकता है। - बेंगलुरु में मेट्रो रेल ट्रांज़िट के पास नौकरियों का अध्ययन: एक सुलभ और उत्पादक शहर को सक्षम बनाना’ वर्किंग पेपर (कार्य-पत्र) का अनावरण:
यह पेपर बेंगलुरु के गंभीर यातायात जाम की समस्या का समाधान करने के लिए एक ट्रांसपोर्ट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) रणनीति की आवश्यकता को उजागर करता है, जो नौकरियों तक पहुंच, श्रम बाजारों की उत्पादकता और समग्र प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित करता है। इस अध्ययन में बेंगलुरु के पंजीकृत कारखानों, दुकानों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों (स्थान और संबंधित नौकरियों) के 2023 के डेटा की मैपिंग की गई है ताकि शहर के मेट्रो नेटवर्क (चरण 1, 2, 2A-2B) के संचालन और निर्माणाधीन क्षेत्रों के साथ वर्तमान रोजगार निकटता और घनत्व का आकलन किया जा सके। - इको-सिटी रीजन (ईसीआर) फोरम और ईसीआर माइक्रोसाइट का अनावरण:
फोरम समान विचारधारा वाले लोगों के साथ सीखने, बहु-हितधारक संवाद, विशेषज्ञ वार्ता और सहयोगी पहलों को सक्षम करेगा, जिसका उद्देश्य पर्यावरणीय रूप से लचीले और आर्थिक रूप से उत्पादक शहरी-क्षेत्रों का निर्माण करना है। यह माइक्रोसाइट छह शहरी क्षेत्रों के महत्वपूर्ण ज्ञान संशाधनों के भंडार के रूप में काम करेगा। - राष्ट्रीय स्तर की परियोजना तैयारी सुविधा (पीपीएफ) के लिए समझौता अनुबंध (एमओयू)- शहरों में जलवायु अनुकूलन और सहनशीलता (एडॉप्शन एंड रेसिलिएन्स) परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए:
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) और डब्लूआरआई इंडिया ने एक अनुबंध (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत राष्ट्रीय स्तर पर परियोजना तैयारी सुविधा स्थापित की जाएगी। इस पहल का उद्देश्य भारतीय शहरों में अनुकूलन और सहनशीलता (ए एंड आर) परियोजनाओं के लिए प्रारंभिक चरण में समर्थन प्रदान करना है। यह मंच जलवायु अनुकूलन और सहनशीलता परियोजनाओं की पहचान, विकास और मूल्यांकन के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगा, ताकि शहर बैंक योग्य और निवेश योग्य परियोजना प्रस्ताव तैयार कर सकें, जिससे उनकी पहुंच जलवायु वित्त (क्लाइमेट फाइनेंस) तक बेहतर हो सके।
पहले दिन, डब्लूआरआई इंडिया ने सार्वजनिक सेवा वितरण और जलवायु कार्रवाई के लिए इनोवेशन (नवाचार) को सक्षम करने पर एक प्रदर्शनी भी आयोजित की। इस प्रदर्शनी में जलवायु और पर्यावरण के विभिन्न चुनौतियों और उनका सामना करने के लिए उपायों के बारे में बताया गया है।