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महाराष्ट्र

राज ठाकरे, प्रधानमंत्री मोदी को बिना शर्त समर्थन दिया !!!

जावेद अत्तार : ब्यूरो चीफ-पश्चिम

पुणे:जैसे ही महाराष्ट्र मे राज ठाकरे ने प्रधानमंत्री मोदी (पीएम नरेंद्र मोदी) को बिना शर्त समर्थन दिया, राज ठाकरे के मनसे के बडे नेता ने ‘जय महाराष्ट्र’ कर दिया है। एमएनएस महासचिव कीर्तिकुमार शिंदे ने राज ठाकरे के गुड़ी पाड़वा मेलावा(महासम्मेलन) में अपनी भूमिका जताने के बाद इस्तीफा दे दिया है।

एमएनएस को अलविदा कहते हुए कीर्तिकुमार शिंदे ने एमएनएस की तारीफ की है। कीर्तिकुमार शिंदे ने कहा है कि पांच साल पहले 2019 के लोकसभा चुनाव की जंग में राजसाहेब ठाकरे ने बीजेपी-मोदी शाह के खिलाफ बिगुल फूंका था और आज बेहद अहम मौके पर राजसाहेब ने अपना रुख बदल लिया।

राज ठाकरे की बदलती भूमिका से नाराज महासचिव ने छोड़ी पार्टी!

एमएनएस महासचिव कीर्तिकुमार शिंदे ने महासचिव पद और सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। कीर्तिकुमार शिंदे ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं. उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट कर पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसे मनसे के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। राज ठाकरे के मोदी और महायुति के समर्थन से नाखुश कीर्तिकुमार ने इस्तीफा देने का बड़ा फैसला लिया है। कीर्तिकुमार शिंदे ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा है। ये पोस्ट क्या कहती है :-

“अलविदा मनसे!

“महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ‘बीजेपी-शिवसेना-राष्ट्रवादी’ के महागठबंधन को बिना शर्त समर्थन दे रही है। हम राज्यसभा, विधान परिषद, अन्य किसी भी बारेमे बातचीत नहीं चाहते, यह समर्थन केवल नरेंद्र मोदी के लिए है…” अध्यक्ष श्री राजसाहब ठाकरे ने अपने विचार व्यक्त किये। गुड़ी पाड़वा बैठक में समर्थन किया और अपनी राजनीतिक भूमिकाओं का एक ‘अनाकलनिय और गूढ’ चक्र पूरा किया है।

पांच साल पहले मेरे लिए वह बहुत महत्वपूर्ण समय था (राजनीतिक रूप से) जब राज साहब ठाकरे ने 2019 के लोकसभा चुनाव की गहमागहमी में बीजेपी-मोदी शाह के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था। उन दिनों मैं सभी सार्वजनिक-‘लाव रे तो वीडियो’ सभा में हिस्सा लेता था और बैठकों में भाजपा-मोदी-शाह के खिलाफ जो तथ्य और विचार प्रस्तुत कर रहे थे, उनके बारे में विस्तृत लेख लिखता था और ईमानदारी से अपना रुख अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करता था।

आज, पांच साल बाद, देश के इतिहास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षण में, राज साहब ने अपना राजनीतिक रुख बदल दिया है। यह कितना गलत है, कितना सही है, यह राजनीतिक विश्लेषक बताएंगे। आजकल राजनीतिक नेता जब चाहें कोई भी राजनीतिक रुख अपना सकते हैं। लेकिन जिन्होंने आपके ऊन विचारों पर विश्वास किया और संघर्ष किया उनकी सबकी हार हुई है। उस बारेमे आप ने क्या सोचा है?

पिछले 10 वर्षों में, विशेषकर पिछले 5 वर्षों में, ‘भामोशा’ ने सचमुच देश की हालत खराब की है। पारदर्शी शासन का दावा कर सत्ता में आई ‘भामोशा’ अपारदर्शी तानाशाही से अत्याचार कर रही है। ईडी, सीबीआई, आयकर जांच को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है और गैर-भाजपा राजनीतिक दलों के नेताओं और उनके करीबियों को वॉशिंग मशीन में धुलवाकर उन्हें ‘भामोशा’ में बदलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जो लोग ‘भामोशा’ के विचारों से सहमत हैं वे देशभक्त या हिंदू हैं, और जो लोग ‘भामोसा’ के विरोधी हैं वे राष्ट्र-विरोधी या गैर-हिंदू हैं! इस नये समीकरण के कारण जातिवाद के नाम पर मनुष्य को मानवता से बहोत दोर ले जाने का काम हो रहा है। मैं विनम्रतापूर्वक कहता हूं कि मेरे जैसा व्यक्ति, जो पुस्तकें प्रकाशित करके प्रबुद्ध लोगों की वैचारिक विरासत को संरक्षित करने का प्रयास करता है, वह ‘भामोसा’ – ‘हिंदुत्व’ की वास्तविक राष्ट्रीयता को स्वीकार नहीं कर सकता।

राज साहब ठाकरे का ‘भामोशा’ का पक्ष लेना उनके खुद के लिए जरूरी हो सकता है, लेकिन इससे महाराष्ट्र-मराठी लोगों को कोई फायदा होगा, इसकी संभावना नहीं है। सत्ता की राजनीति में, मनसे और खुद के अस्तित्व के लिए उनका रुख सही हो सकता है, लेकिन उन्होंने जो पक्ष लिया है, वह सच नहीं है।दरअसल, राज साहब से ऐसे कई मुद्दों पर चर्चा होनी थी। लेकिन यह संभव नहीं है! इसलिए आज मैं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के महासचिव पद और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं, इस यात्रा को यहीं समाप्त कर रहा हूं।

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