मैथन का नाम “माई का स्थान” से, दुल्हन की तरह सज धज कर तैयार कर रही सैलानियों का इंतजार !!!
विशेष रिपोर्ट : मिथलेश पांडे : प्रतिनिधि
मैथन धनबाद : पेड़-पौधे, रंग बिरंगे फूल, झूले और इन सबके बीच बहती हुई जल धारा. खूबसूरती ऐसी कि मन मुग्ध हो जाए. जिस खूबसूरती का जिक्र हो रहा है, उस स्थान का नाम है मैथन डैम. इस जगह की खूबसूरती आम दिनों में भी दिल में घर करने वाली होती है।
मैथन का नाम “माई का स्थान” से लिया गया है, जिसका अर्थ है हिंदू देवी मां कल्याणेश्वरी का स्थान। यह बराकर नदी के तट पर स्थित है। भूमिगत बिजली स्टेशन वाला बांध पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी तरह का एक बांध है।
क्रिसमस और नव वर्ष को लेकर मैथन डैम को पूरी तरह से दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है. इससे इसकी खूबसूरती में और भी चार चांद लग गए हैं. अब बस इंतजार है तो बस सैलानियों का, जो यहां आएं और इस जगह का आनंद उठाएं ।
मैथन बांध भारत के झारखंड राज्य में धनबाद से 48 किमी दूर मैथन में स्थित है।यह बांध विशेष रूप से बाढ़ नियंत्रण के लिए डिज़ाइन किया गया था और यह 60,000 किलोवाट बिजली उत्पन्न करता है।
यहां एक भूमिगत बिजली स्टेशन है, जो पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी तरह का पहला है। यह बांध बराकर नदी पर बनाया गया है। झील 65 वर्ग किलोमीटर (25 वर्ग मील) में फैली हुई है।
बिहार और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों डॉ. श्रीकृष्ण सिन्हा और डॉ. बिधान चंद्र रॉय ने केंद्र सरकार को इस मेगा परियोजना के लाभों के बारे में बताया। डीवीसी स्वतंत्र भारत की पहली बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है जो 7 जुलाई, 1948 को अस्तित्व में आई थी।
ऊपरी घाटी में दो पूरे जिले (धनबाद और बोकारो) और आंशिक रूप से झारखंड राज्य के आठ जिले शामिल हैं। दूसरी ओर निचली घाटी में पश्चिम बंगाल राज्य के आंशिक रूप से पांच जिले (बर्दवान, हुगली, बांकुरा, हावड़ा और पुरुलिया) शामिल हैं।