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धर्म संस्कृति

राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा जिला समिति द्वारा महतो, पहान और पूजारों का एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

नूतन कश्यप  : लोहरदगा : रविवार को राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा जिला समिति द्वारा एम जी रोड वीर शिवाचौक लोहरदगा स्थित झखरा कुम्बा में महतो, पहान और पूजारों के बीच एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अगुवाई राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा जिला समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों के द्वारा की गयी।

कार्यशाला में जिला के सभी सातों प्रखंडों के आदिवासी समुदाय के महतो,पहान और पूजारों को संबोधित करते हुए बताया गया कि आदिवासी नियम धर्म, भाषा संस्कृति, परंपरा, जमीन, आरक्षण नीति एवं शादी विवाह, नामकरण संस्कार, पर्व त्योहार एवं अन्य विषयों जैसे खर्च, नशा , शिक्षा, व्यापार आदि बातों पर बारी बारी से चर्चा किया गया। और साथ ही साथ कहा गया कि आदिवासी समाज एकजुट होकर रहें। कार्यशाला में उपस्थित सभी महतो,पहान और पूजारों ने भी अपना अपना वर्चस्व अदान प्रदान करते हुए कहा कि धार्मिक व्यवस्था को बनाये रखेंगे।‌ अपना हक अधिकार के लिए लड़ाई लड़ना पड़ेगा तो हम सब आदिवासी समुदाय पिछे नहीं हटेंगे।

अपने पूर्वजों के बनाये हुये रीति-रिवाज परम्परागत वेशभूषा को बरकरार रखना है। आने वाले पीढ़ी एवं आज के युवा पीढ़ी को आदिवासी पारम्परिक रीति-रिवाज वेषभूषा सांस्कृतिक कार्यक्रम से रूबरू करायेंगे। पूरी दुनिया में सरना धर्म समुदाय के लोगों में अब जागरूकता आ गया है। सरना धर्मावलंबियों का एक आदिवासीयों के लिए आदि शक्ति का प्रतीक है।

     

आदिवासी के लिए जल, जंगल जमीन को बचाना बहुत जरूरी है, यह हमारा विकास कार्य का पहचान है।‌ इस कार्यशाला में रांची जिला से आये आदिवासी समुदाय पहान जगदीश, सिबु पहान ने भी रांची जिला के आदिवासी सरना समुदाय के बारे में बात साझा किया।‌ कार्यशाला को संबोधित करने वाले राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा जिला समिति लोहरदगा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बिरसा उरांव, राष्ट्रीय सलाहकार जलेश्वर उरांव, आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद उरांव, अकाश उरांव, जिलाध्यक्ष एतवा उरांव, जिला उपाध्यक्ष सोमदेव उरांव, जिला सचिव पंकज उरांव, जिला कोषाध्यक्ष रामलाल उरांव एवं अलग अलग जगहों से महतो, पहान और पूजार सहदेव तिग्गा,बिरसु उरांव, सुनील मुण्डा,बुधवा उरांव ने भी अपनी-अपनी बात रखा। जिला के सभी महतो पहान और पूजारों को सरना वेषभूषा का पहचान गमछा देकर सम्मानित किया गया। उपस्थित सभी महतो पहान और पूजारों को विशेष रूप से बताया गया कि हमारे पड़हा व्यवस्था को कमजोर करने का खेल शुरू होने लगा है।

आज हमारे समाज को सावधानीपूर्वक एकजुट होकर काम करना होगा। आज हमारे समाज में चर्च के द्वारा धर्मांतरण एवं अन्य जातियों के द्वारा लव जेहाद को अंजाम दिया जा रहा है इसके लिए हमें एकजुट होकर इनका मुकाबला करना होगा। इसके लिए आदिवासी के सभी संगठनों को एक साथ मिलकर आगे आना है। विवाह मुण्डा, उरांव एवं अन्य आदिवासी समाज शादी विवाह आदिवासी परंपरा अनुसार करें। शादी का दिन टीप बढ़ती चांद के अनुसार करें।

तृतीय पंचमी, सप्तमी, नवमी, एकादशी तृचोदशी में नेग विवाह, गृह प्रवेश, भुमि पूजन पहानों से ही कराएं। शादी से पूर्व चुमावन नहीं होना चाहिए। लड़की पार्टी में बरात बिदा होने के बाद लड़का पार्टी में बरात लौटने के बाद करवायें। पर्व त्योहार में फग्गु खद्दी करमा, सोहराई मनाबाअना रई।

पहान पूजार और महतो को पगड़ी अनिवार्य होना चाहिए। जैसे ही पहान बदली होता है तो सूप बदली के साथ पगड़ी भी पहनाना जरूरी है। कार्यक्रम में भारी संख्या में महतो, पहान और पूजार मौजूद थे।

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