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धर्म संस्कृति

पूरी दुनिआ में लोगों को ईद-उल-फितर का बेसब्री से इंतजार रहता है !!!

ईद भाई चारे व आपसी मेल का तयौहार है !!

Editorial : रमजान महीने की शुरुआत होते ही लोगों को ईद-उल-फितर का बेसब्री से इंतजार रहता है.रमजान उपवास की अवधि है, जबकि ईद अल-फितर उपवास के अंत का प्रतीक है और एक ऐसा दिन है जब मुसलमानों को उपवास करने की अनुमति नहीं है। सऊदी अरब में 21अप्रैल को ईद मनाई जा रही है ! भारत में 22 या 23 अप्रैल मनेगी ईद

 मुसलमानों का त्यौहार ईद रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाया जाता है। इस्लाम में दो ईदों में से यह एक है (दुसरी ईद उल जुहा या बकरीद कहलाती है)। पहली ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनायी थी।

ईद उल फित्र के अवसर पर पूरे महीने अल्लाह के मोमिन बंदे अल्लाह की इबादत करते हैं रोज़ा रखते हैं और क़ुआन करीम कुरान की तिलावत करके अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं जिसका अज्र या मजदूरी मिलने का दिन ही ईद का दिन कहलाता है जिसे उत्सव के रूप में पूरी दुनिया के मुसलमान बडे हर्ष उल्लास से मनाते हैं

ईद उल-फितर का सबसे अहम मक्सद एक और है कि इसमें ग़रीबों को फितरा देना वाजिब है जिससे वो लोग जो ग़रीब हैं मजबूर हैं अपनी ईद मना सकें नये कपडे पहन सकें और समाज में एक दूसरे के साथ खुशियां बांट सकें फित्रा वाजिब है उनके ऊपर जो 52.50 तोला चाँदी या 7.50 तोला सोने का मालिक हो अपने और अपनी नाबालिग़ औलाद का सद्कये फित्र अदा करे जो कि ईद उल फितर की नमाज़ से पहले करना होता है ।

मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के एक महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्यौहार मनाते हैं। जिसे ईद उल-फ़ित्र कहा जाता है। ये यक्म शवाल अल-मुकर्रम्म को मनाया जाता है।

ईद उल-फ़ित्र इस्लामी कैलेण्डर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है। इसलामी कैलंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नए चाँद के दिखने पर शुरू होता है।

ईद उल फितर का निर्धारण एक दिन पहले चाँद देखकर होता है। चाँद दिखने के बाद उससे अगले दिन ईद मनाई जाती है। सऊदी अरब में चाँद एक दिन पहले और भारत मे चाँद एक दिन बाद दिखने के कारण दो दिनों तक ईद का पर्व मनाया जाता है। ईद एक महत्वपूर्ण त्यौहार है इसलिए इस दिन छुट्टी होती है। ईद के दिन सुबह से ही इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग इस दिन तरह तरह के व्यंजन, पकवान बनाते है तथा नए नए वस्त्र पहनते हैं ।

ईद भाई चारे व आपसी मेल का तयौहार है ईद के दिन लोग एक दूसरे के दिल में प्यार बढाने और नफरत को मिटाने के लिए एक दूसरे से गले मिलते हैं।

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