भारत में समलैंगिक विवाह मामले में केंद्र ने नया हलफनामा दायर किया !!!
भारत में बहुतो को LGBT शब्द का फुल फॉर्म नहीं पता !!
New Delhi- Bureau : समलैंगिक विवाह मामले में केंद्र ने नया हलफनामा दायर किया और सुप्रीम कोर्ट से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को मामले में पक्षकार बनाने का आग्रह किया। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को समान-लिंग विवाहों की वैधता पर सुनवाई फिर से शुरू की।
सुप्रीम कोर्ट सेम सेक्स मैरिज से जुड़ी कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रहा। लेकिन बहुत से लोगों को LGBT शब्द फुल फॉर्म नहीं पता। साथ ही ये भी नहीं पता कि इसमें अलग-अलग कम्यूनिटी के लोग शामिल होते हैं।
L फॉर लेस्बियन –जब कोई महिला किसी पुरुष से आकर्षित न होकर महिला से आकर्षित होती है तो उसे लेस्बियन कहा जाता है.। लेस्बियन महिलाएं सुप्रीम कोर्ट से लड़की से लड़की की शादी को मान्यता देने की मांग कर रहीं। LGBT में L का मतलब लेस्बियन से है।
G फॉर गे – जब कोई पुरुष किसी महिला से आकर्षित न होकर पुरुष से आकर्षित होती है तो उसे गे कहा जाता है.।
B फॉर बाईसेक्सुअल – बायसेक्सुअल शब्द का इस्तेमाल उनके लिए किया जाता है जिनका मानसिक, रोमेंटिक या फिर सेक्सुअल तौर पर झुकाव पुरुष व महिलाओं दोनों ही के प्रति होता है।
T फॉर ट्रांसजेंडर – ट्रांसजेंडर वो इंसान होते हैं जिनका लिंग जन्म के समय तय किए गए लिंग से मेल नहीं खाता। इनमें ट्रांस मेन, ट्रांस वीमन, इंटरसेक्स और किन्नर भी आते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक इन लोगों के पास अपना लिंग निर्धारित करने का भी अधिकार होता है। ट्रांसजेंडरों को समाज में भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को समान-लिंग विवाहों के वैधीकरण के संबंध में कम से कम 15 याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई शुरू की।सीजेआई धनंजय वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली एससी बेंच ने याचिकाओं पर सुनवाई की, कार्यवाही को स्पष्ट करते हुए विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए) के तहत ऐसे विवाहों के सत्यापन तक सीमित किया जाएगा।
इसने मामले में न्यायिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में “वृद्धिशील दृष्टिकोण” लेने पर जोर दिया और कहा कि यह “ऋषि ज्ञान” को प्रतिबिंबित करेगा।