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गोदावरी की धारा की तरह अपने आप को ढोने वाली माताओं और बहनों को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं!!!

Special Report - International Women's Day

Nanded-Bureau (Mr. Nagnath Mahadapure- ब्युरो चिफ) : आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं को अपने अधिकारों और सशक्तिकरण के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण को भी जानने की जरूरत है।

हालांकि समय बदलने के साथ महिलाओं की स्थिति बदल रही है, लेकिन समाज में अभी भी काफी हद तक अन्याय और दमन देखने को मिलता है। भारत रत्न डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर ने अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और महिलाओं के अधिकारों और महिला सशक्तिकरण और अधिकारों को पाने के लिए अपनी पूरी कोशिश की। इनमें महिला संरक्षण अधिनियम, दहेज रोकथाम, यौन उत्पीड़न रोकथाम, अश्लीलता रोकथाम, बाल विवाह निवारण अधिनियम, छेड़छाड़ निवारण अधिनियम, बच्चों के अधिकार, परिवार न्यायालय अधिनियम, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, समान वेतन अधिनियम, वारिस अधिकार अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम, मातृत्व अधिनियम, जिला महिला सहायता समिति, महिला निरोध अधिनियम, महिला आयोग , विशेष विवाह अधिनियम, महिलाओं के लिए इन कई अधिकारों और अधिकारों के बारे में जानना समय की आवश्यकता है।

साथ ही महिला यानी इंसान को शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम होना चाहिए। अगर किसी की नजर इस पर पड़े तो जागरूक महिलाएं घर से ही इस कानून का ध्यान रखें  चलने-फिरने में कोई दिक्कत नहीं होती तो सबसे पहले कानून का ज्ञान देने वाले श्री छत्रपति शिवाजी महाराज, उनके वंशज और कई अन्य लोग उनकी विरासत को बचाए रखने की कोशिश कर रहे थे। आना महापुरुष श्री राजाराम मोहन राय ने सती प्रथा को रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सबसे पहले महिलाओं को शिक्षित करने का भार महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले को उठाना पड़ा। साथ ही इतिहास में कई लोगों ने माही को सशक्त बनाने का काम किया। 

यह काम आज भी जारी रहना चाहिए क्योंकि देश में आज भी 100% महिलाएं सक्षम नहीं हैं। और यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि कानून तो है लेकिन ज्ञान 100% नहीं है। तो एक शिक्षित महिला को इन बातों की समीक्षा करने में कोई दिक्कत नहीं है। 

…. महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं की पहचान और कानून समय की मांग है……

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