
लोहरदगा: झारखंड आंदोलन के एक अहम योद्धा, भंडरा प्रखंड के ग्राम भीठा निवासी स्व. नंदकिशोर सिंह की 12वां कार्यक्रम के अवसर पर शुक्रवार को एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। यह आयोजन न सिर्फ एक स्मृति समारोह था, बल्कि झारखंड राज्य निर्माण में उनके अतुलनीय योगदान को याद करने का भी अवसर बना। कार्यक्रम में मुख्य रूप से झारखंड आंदोलनकारी महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष राजू महतो, उपाध्यक्ष नीरू शांति भगत, केंद्रीय महिला संयोजिका विनिता खलखो, एरेन कच्छप, जिला संयोजक प्रो. विनोद भगत, जिलाध्यक्ष अनिल कुमार भगत, कार्यकारी अध्यक्ष अमर किन्डो, मंगलेश्वर भगत सहित बड़ी संख्या में आंदोलनकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, युवा वर्ग और स्थानीय ग्रामीण मौजूद रहे।
राज्य निर्माण के नायक थे नंदकिशोर सिंह: राजू महतो
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए झारखंड आंदोलनकारी महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष राजू महतो ने कहा कि नंदकिशोर सिंह जैसे सच्चे सपूतों की कुर्बानी और संघर्ष के बिना झारखंड राज्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। उन्होंने झारखंड की माटी, जंगल, जल, जमीन और पहचान को बचाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया।
उन्होंने सरकार से मांग की कि नंदकिशोर सिंह जैसे आंदोलनकारियों के परिवार को सरकारी योजना और पेंशन योजना का लाभ मिलना चाहिए। साथ ही, राज्य में एक ऐसा स्मारक बने जो सभी आंदोलनकारियों की स्मृति को जीवंत बनाए रखे।
झारखंड आंदोलन में महिलाओं की भी रही बड़ी भूमिका: विनिता खलखो
कार्यक्रम में केंद्रीय महिला संयोजिका विनिता खलखो ने कहा कि झारखंड आंदोलन में महिलाओं की भी बड़ी भूमिका रही है, और नंदकिशोर सिंह जैसे नेताओं ने हर वर्ग को साथ लेकर संघर्ष किया। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे राज्य निर्माण के मूल लक्ष्यों को न भूलें और झारखंड के संसाधनों की रक्षा करें।
सांस्कृतिक विरासत और संघर्ष को आगे ले जाने की जरूरत: अनिल कुमार भगत
अनिल कुमार भगत ने कहा कि नंदकिशोर सिंह केवल आंदोलनकारी नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना के संवाहक भी थे। उन्होंने गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया और आदिवासी अस्मिता की रक्षा के लिए कार्य किया। ऐसे प्रेरक व्यक्तित्वों की जीवनी को विद्यालयों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी अपने इतिहास से परिचित हो सके।कार्यक्रम में सभी उपस्थित आंदोलनकारियों और ग्रामीणों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि दी। साथ ही यह संकल्प लिया गया कि राज्य के हक-अधिकार की रक्षा के लिए मिलकर काम किया जाएगा। श्रद्धांजलि सभा का समापन पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ हुआ। कार्यक्रम की समग्र व्यवस्था स्थानीय ग्रामीणों और नंदकिशोर सिंह के परिजनों द्वारा की गई थी।