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क्राइम-भ्रष्टाचार

झारखंड शराब नीति घोटाले

समीर सिंह : प्रधान संपादक

रांची-झारखंड : हाल ही में झारखंड सरकार की नई आबकारी नीति (Excise Policy) 2025 को लेकर जल्दबाज़ी में लिए गए निर्णय और गड़बड़ प्रक्रिया उजागर हुई। इस नीति के तहत राज्य में शराब की खुदरा बिक्री को निजी हाथों में सौंपा गया, जबकि होलसेल अधिकार सरकार के विशेष रूप से नियंत्रित निगम — झारखंड स्टेट बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) — को दिए गए । इस कदम से अंदेशा जताया गया कि इसका मूल उद्देश्य था राजस्व वृद्धि के नाम पर निजी दलालों और भ्रष्ट अत्यधिक लाभ के प्रेरित एजेंसियों को लाभ पहुंचाना।

शुरुआती खबरों के अनुसार:

  • 1453 खुदरा शराब दुकानों का संचालन निजी कंपनियों व एजेंसियों को सौंपा गया, जिनका आवंटन ई‑लॉटरी प्रणाली से किया

  • एक व्यक्ति अथवा एजेंसी को एक जिले में अधिकतम 3‑12 दुकानें, तथा पूरे राज्य में 9‑36 दुकानें मिल सकती थीं — पर ये नियम समय पर पारदर्शिता बनाए रखने वाले उपाय नहीं माने गए ।

  • कुछ ब्रांड्स की कीमतों में ₹५–₹१० की वृद्धि का संकेत भी दिया गया ।

सरकार का दावा था कि इस नीतिगत बदलाव से राजस्व ₹2700 करोड़ से बढ़ाकर ₹3000 करोड़ तक पहुंच सकता है


🧩 गिरफ़्तारियाँ और घोटाले की तह तक जांच

1. वरिष्ठ अधिकारी और IAS एफ़अर्स

  • सरकार के तत्कालीन उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के Principal Secretary और पूर्व Excise Secretary IAS विनय कुमार चौबे सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को ACB (भ्रष्टाचार निवारक ब्यूरो) द्वारा गिरफ्तार किया गया ।

  • डीटेल में बताया गया कि इन्हें झारखंड में शराब नीति के placement एजेंसियों के चयन में गड़बड़ी और ₹38 करोड़ के राजकोषीय नुकसान के आरोप में गिरफ्तार किया गया ।

  • इसके अतिरिक्त, पूर्व GM Finance – सुधीर कुमार दास और निजी फर्म Marshan Company के नीरज कुमार सिंह सहित अन्य व्यक्ति भट्टा गए हैं, जो झारखंड व छत्तीसगढ़ दोनों में जुड़े नेटवर्क से स्रोत बताते जाते हैं

2. व्यापारी और एजेंसी संचालक

  • ACB ने छत्तीसगढ़ के दो बड़े कारोबारी, अतुल कुमार सिंह और मुकेश मनचंदा को गिरफ्तार किया है। ये “Om Sai Company” नामक फर्म से जुड़े बताए जा रहे हैं और यह झारखंड शराब नीति में शामिल फर्जी जनशक्ति एजेंसियों के पीछे संभावित साजिश का हिस्सा मानी जा रही है

  • इससे पहले विधु गुप्ता, Prism Holography कंपनी के MD, को भी गिरफ्तार किया गया, जो झारखंड में “placement agency” मॉडल चलाने में सक्रिय था


🔍 धांधली की पद्धति – कैसे बनी थी यह साजिश?

नियमावली की मनमानी ड्राफ्टिंग

उदित वाणी की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ की CSML (Chhattisgarh State Marketing Ltd.) को एक्साइज नीति तैयार करने का ₹1.25 करोड़ का ठेका दिया गया, जिसे दोषी माना गया । आलोचकों का आरोप है कि ये नीति झारखंड की बजाए निजी एजेंट नेटवर्क के लिए सबकुछ बनाए जाने का परिणाम थी।

नियुक्ति और टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी

सामान्य अटकलों के अनुसार, फर्जी दस्तावेज और inflated salary claims के ज़रिए placement एजेंसियों और लाइसेंसधारियों को लाभ पहुंचाया गया, जिससे मानव संसाधन और लाइसेंस वितरण में घोर भ्रष्टाचार हुआ

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

बीजेपी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन सरकार इस मामले को उच्च स्तरीय संरक्षकता दे रही है, और उन्होंने CBI जांच की माँग भी की है ।


🎯 सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और जनता की प्रतिक्रिया

नयी नीति से:

  • नकली और सस्ती शराब की समस्या और बढ़ी — झारखंड में नकली शराब फैक्ट्री पकड़ी गई, जिसमें विदेशी ब्रांडरहित शराब तैयार की जा रही थी

  • जनसामान्य दुकानदारों के संकट के बीच मांग और आपूर्ति में अनियमितताएँ बढ़ीं, जिससे शिकायतें तेज़ हो गईं

📣 जनता और नेटिज़न प्रतिक्रिया

Reddit और अन्य ऑनलाइन मंचों पर झारखंड में भ्रष्टाचार और शराब नीति को लेकर गहरी नाराजगी स्पष्ट दिख रही है:

“Very true… Jharkhand is the one of the most corrupted state in the entire nation… if you don’t give bribe you will end up losing your time…” reddit.com

“Poora system Brahmins ka hai… BJP over JMM anyday… Also there is huge liquor scam is happening in open…” reddit.com

इन प्रतिक्रियाओं से साफ़ है — नीति और जांच सिर्फ कागज़ों तक सिमटी नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक असहजता को बढ़ावा दे रही है।


🛡 ACB और ED की भूमिका

  • ACB (Anti-Corruption Bureau) ने लगभग 10 गिरफ्तारियाँ की, जिनमें IAS अधिकारी, GM-level अधिकारी और व्यापारी शामिल हैं

  • Enforcement Directorate (ED) ने भी छापे मारे और वित्तीय लेन-देन की जांच में सक्रिय भूमिका निभाई, जो इसके प्लेसमेंट एजेंसी मॉडल और ठेके से जुड़े पैसों के पथ को ट्रेस कर रही है


🏛 राजनैतिक और शासनिक निहितार्थ

  1. राजस्व और नीति की पारदर्शिता पर सवाल

    • निजी हाथों में खुदरा बिक्री हस्तांतरण की वजह से लैटिस्ट पारदर्शिता संकट में है।

    • कीमतों की अनियमितता व नकली शराब के बढ़ते मामले ने राज्य की बोतले-बिक्री व्यवस्था पर लोगों का विश्वास कम किया।

  2. राजनीतिक दबाव और सीबीआई की माँग

    • विपक्ष ने CBI जांच की मांग की, और यह मामला राज्य तथा केंद्र में सियासी कंट्रोवर्सी बनकर उभरा है

  3. भ्रष्टाचार के खिलाफ ताकतों का परीक्षण

    • नीति में शामिल उच्च अधिकारियों और फर्म्स के खिलाफ ACB व ED की कार्रवाई यह संकेत देती है कि भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ आगामी समय में कार्रवाई तीव्र होगी।


🔮 भविष्य की दिशा: आगे की राह

  1. जांच गहराने की संभावना

    • ACB ने आत्मसमर्पण के संकेत दिए हैं कि मामले में और गिरफ्तारियाँ हो सकती हैं

  2. CBI और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई?

    • यदि CBI जांच शुरू हुई या SC नियमानुसार दखल देगी, तो यह नीति और प्रक्रिया की पूरी विवेचना हो सकती है।

  3. राजनीतिक असर

    • आगामी चुनावों में यह मुद्दा जनता को प्रभावित करेगा और राजनीतिक दलों को अपनी रणनीतियाँ बदलनी पड़ सकती है।

  4. नकली शराब और महंगाई

    • उपभोक्ताओं के सामने बढ़ते मुद्दे — नकली शराब और कीमतों में वृद्धि — को नियंत्रित करने के लिए सरकार को सख्त प्रवर्तन और उचित मूल्य नियंत्रण लागू करना होगा।

झारखंड शराब नीति घोटाला महज एक नीति विवाद नहीं है, बल्कि यह:

  • राजस्व संसाधन व निजी स्वार्थों का टकराव है,

  • भ्रष्टाचार की गिरफ़्तारी और उसके पीछे की राजनीति की परीक्षा है,

  • और समाज की अपेक्षाओं व सरकारी जवाबदेही के बीच की दूरी का निरूपण है।

भविष्य में, निष्पक्ष जांच, सच्चे दोषियों की जवाबदेही, और शराब नीति की पारदर्शिता सुनिश्चित करने वाले सुधार — ये सब राजनैतिक स्थिरता और सामाजिक विश्वास के आधार हैं।

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