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क्राइम-भ्रष्टाचार

पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला

समीर सिंह: प्रधान संपादक

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला (West Bengal Teacher Recruitment Scam) हाल के वर्षों में सबसे बड़ा शिक्षा प्रणाली से जुड़ा भ्रष्टाचार का मामला बनकर सामने आया है। इस घोटाले ने न केवल राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि लाखों बेरोजगार युवाओं के सपनों को भी कुचल दिया है। इस लेख में हम इस घोटाले की पृष्ठभूमि, घटनाक्रम, प्रमुख आरोपी, राजनीतिक प्रभाव और न्यायिक कार्रवाई पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।


पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग (School Service Commission – SSC) के माध्यम से शिक्षकों की भर्ती की जाती है। इसका उद्देश्य पारदर्शी और योग्यता-आधारित भर्ती सुनिश्चित करना होता है। लेकिन वर्ष 2014 से लेकर 2021 के बीच की गई भर्तियों में व्यापक अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए।

अनियमितताओं की शुरुआत

साल 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) ने ग्रुप C और D पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। साथ ही उच्च माध्यमिक, माध्यमिक और प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती भी होनी थी। समय के साथ कई उम्मीदवारों ने आरोप लगाए कि बिना मेरिट के, पैसे और सिफारिश के दम पर अयोग्य लोगों को नियुक्त किया गया है। कुछ उम्मीदवारों के अंक पत्र भी संदिग्ध पाए गए।


घोटाले का खुलासा

हाईकोर्ट की भूमिका

सबसे पहले यह मामला कोलकाता हाईकोर्ट में याचिकाओं के माध्यम से सामने आया। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से जांच की मांग की। हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए CBI (केंद्रीय जांच ब्यूरो) को जांच सौंप दी। इसके बाद से घोटाले की परतें एक-एक करके खुलती चली गईं।

ED और CBI की कार्रवाई

2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और CBI ने संयुक्त रूप से कई स्थानों पर छापेमारी की। इसमें करोड़ों रुपये नकद, सोना, संपत्ति और फर्जी दस्तावेज बरामद किए गए। ED को इस घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका थी। यह पाया गया कि पैसे लेकर नियुक्तियाँ की गई थीं और इन पैसों को रियल एस्टेट और अन्य निवेशों में लगाया गया था।


प्रमुख आरोपी

पार्थ चटर्जी

घोटाले के केंद्र में रहे पार्थ चटर्जी, जो उस समय पश्चिम बंगाल सरकार में शिक्षा मंत्री थे, पर गंभीर आरोप लगे। उनके करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर से करीब 50 करोड़ रुपये नकद, भारी मात्रा में सोना और अन्य संपत्ति बरामद हुई। पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।

अर्पिता मुखर्जी

अर्पिता, जो एक मॉडल और पार्थ चटर्जी की सहयोगी मानी जाती थीं, उनके फ्लैट्स से ED ने छापेमारी के दौरान भारी नकदी जब्त की। उन्होंने पूछताछ में कबूला कि ये पैसे शिक्षक भर्ती से संबंधित हैं। इससे घोटाले की पुष्टि और मजबूत हो गई।

अन्य आरोपी

  • कई SSC अधिकारी

  • पूर्व शिक्षा विभाग के अधिकारी

  • कुछ राजनीतिक कार्यकर्ता और दलाल


भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ियाँ

फर्जी मेरिट लिस्ट

CBI और कोर्ट की निगरानी में हुई जांच में यह स्पष्ट हुआ कि मेरिट लिस्ट में बदलाव किया गया था। योग्य उम्मीदवारों के स्थान पर अयोग्य लोगों के नाम शामिल किए गए।

उत्तर पुस्तिकाओं में छेड़छाड़

कुछ मामलों में यह भी सामने आया कि परीक्षा के बाद उत्तर पुस्तिकाओं में अंक बढ़ाए गए थे। कई बार परीक्षार्थी उपस्थित ही नहीं थे लेकिन उन्हें पास घोषित कर दिया गया।

पैसे लेकर नियुक्ति

जांच एजेंसियों के अनुसार, एक शिक्षक की नियुक्ति के लिए 5 लाख से लेकर 20 लाख रुपये तक की रिश्वत ली गई थी। इन पैसों को हवाला, कैश और बैंक खातों के माध्यम से छिपाया गया।


राजनीतिक प्रभाव

तृणमूल कांग्रेस की छवि पर असर

यह घोटाला तृणमूल कांग्रेस (TMC) के लिए बड़ा राजनीतिक झटका था। पार्टी ने तुरंत पार्थ चटर्जी को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया और कहा कि वह जांच में सहयोग करेंगे। लेकिन विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह सिर्फ ‘Damage Control’ की कोशिश है।

विपक्ष का हमला

भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और वाम दलों ने इस घोटाले को लेकर ममता सरकार पर जोरदार हमला बोला। बीजेपी ने कहा कि यह युवाओं के साथ धोखा है और शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने की साजिश है।

छात्र आंदोलनों की लहर

घोटाले के बाद बड़ी संख्या में योग्य लेकिन बेरोजगार उम्मीदवारों ने राज्य भर में प्रदर्शन किए। उनके नारों में यह बात प्रमुख थी – “हमारे हक की नौकरी लौटाओ!”


न्यायिक कार्रवाई

कोर्ट की सख्ती

कोलकाता हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कई आदेश जारी किए:

  • अवैध रूप से नियुक्त शिक्षकों को बर्खास्त करने का आदेश

  • उनके द्वारा ली गई सैलरी वसूलने के निर्देश

  • नई मेरिट लिस्ट तैयार करने और सही लोगों को नियुक्त करने का आदेश

गिरफ्तारी और चार्जशीट

CBI और ED ने अब तक दर्जनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं। कुछ अधिकारियों की संपत्ति कुर्क की गई है।


शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव

इस घोटाले ने राज्य की शिक्षा प्रणाली पर गहरा धब्बा छोड़ा है:

  • योग्य उम्मीदवारों का विश्वास टूटा

  • सरकारी स्कूलों में अयोग्य शिक्षक भर्ती हो गए

  • परीक्षा प्रणाली और SSC की साख पर सवाल उठे


वर्तमान स्थिति

वर्तमान में यह मामला कोर्ट में लंबित है। कई नियुक्तियाँ रद्द की जा चुकी हैं। सरकार नई भर्तियों के लिए पुनः परीक्षा कराने की योजना बना रही है। CBI और ED की जांच भी जारी है।


पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला केवल भ्रष्टाचार का मामला नहीं है, यह एक पूरी पीढ़ी के सपनों और मेहनत के साथ धोखे की कहानी है। यह घटना बताती है कि अगर सत्ता और व्यवस्था में पारदर्शिता न हो तो योग्य लोगों को किस तरह से दरकिनार किया जा सकता है।

अब यह न्यायपालिका और जांच एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि वे दोषियों को सजा दिलाएं और ऐसे सुधार करें जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाएँ न दोहराई जाएं।


“शिक्षा का क्षेत्र पवित्र है, इसे राजनीति और भ्रष्टाचार से बचाना हर समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए।”

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