
धनबाद-झारखंड : धनबाद जिसका नाम “कोयला राजधानी” से जुड़ा हुआ है, झारखंड का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक और खनन क्षेत्र है। यहाँ पर स्थित झरिया कोयला क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी कोकिंग कोयला की भंडारण क्षमता है । हालांकि कोयला उत्पादन और खनन पूरे क्षेत्र की आर्थिक संपन्नता के लिए आधार रहे हैं, साथ ही साथ घोर भ्रष्टाचार, अवैध खनन, कोयला माफिया संघर्ष, असुरक्षित परिस्थितियाँ, पर्यावरण प्रदूषण और प्रशासनिक अनियमितताओं की एक लंबी शृंखला भी सामने आई है।
ऐतिहासिक और संरचनात्मक पृष्ठभूमि
पुनरावर्ती हादसे और भूमि-संरचनात्मक समस्याएं
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1975 में चासनाला में कोयला खदान में विस्फोट और बाढ़ से हुए हादसे में 375 मजदूरों की मृत्यु हुई — भारत की खनन इतिहास की सबसे भयानक दुर्घटनाओं में से एक ।
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झरिया कोयला क्षेत्र में सदी पुरानी भूमिगत आग लगी हुई है, जिसने अब तक लगभग 37 मिलियन टन कोयला नष्ट कर दिया है। इससे न केवल प्रदूषण फैलता है, बल्कि अग्नि-प्रवाहित भूमि धंसाव और विस्थापन की स्थिति बनी हुई है ।
भ्रष्टाचार और कोयला माफिया का उदय
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कोयला उद्योग में “कोयला माफिया” (अवैध खनन-तस्करी, रैकेट, उत्पीड़न, सरकारी अफसरों के साथ मिलीभगत) सालों से सक्रिय रहा है ।
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कोयला लूट, “गुन टैक्स”, खरीद-आयात में रिश्वत, सरकारी अफसरों की मिलीभगत—ये सब कोयला उत्पादन में नियमित और व्यापक प्रवृत्तियाँ बन चुकी हैं ।
हाल के वर्षों में प्रमुख घटनाएं और कांड
2019: BCCL अधिकारी और ₹22.16 करोड़ का घोटाला
सेंट्रल इंटीग्रिटी ब्यूरो (CBI) ने भारत Coking Coal Limited (BCCL) के कई वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप लगाया कि उन्होंने “ओवरबर्डन” (मिट्टी/चट्टान का अधिभार) की नकली प्रविष्टियों द्वारा ₹22.16 करोड़ का भुगतान कराया । भुगतान एक जुड़वां कंपनी AT‑Libra BPL (JV) को किया गया, जो कथित रूप से झूठे चालान प्रस्तुत करती थी।
2024: राजनीतिक आरोप‑प्रत्यारोप और अवैध कोयला निकासी
जनवरी 2024 में एक रिपोर्ट के अनुसार BJP विधायक धुल्लू महतो ने पूर्व SSP संजीव कुमार (Dhanbad) और JMM नेता अमितेश सहाय पर भारी मात्रा में कोयला अवैध रूप से निकाले जाने का आरोप लगाया, जिसका आंकड़ा ₹50,000 करोड़ से अधिक बताया गया । इसके विपरीत JMM नेताओं ने महतो ऊपर चरित्र हनन का आरोप लगाया तथा राजनैतिक जांच की माँग उठाई ।
2024: NRHM‑कोयला व्यापारी फ्रॉड
अगस्त 2024 में Enforcement Directorate (ED) ने Dhanbad के कोयला व्यापारी प्रमोद सिंह के घर छापा मारा, जो National Rural Health Mission (NRHM) घोटाले में अब तक से जुड़े हैं। आरोप है कि उन्होंने प्लॉट खरीदी और लग्ज़री वाहन इस्तेमाल किए ₹6.97 करोड़ के भ्रष्टाचार घोटाले में पकड़े गए दस्तावेज मिले । यह NRHM स्कैम 2016-19 से जारी था और अप्रैल 2019 में पांच लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे ।
2024–25: पर्यावरण एवं मजदूर सुरक्षा की चिंताएँ
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जून 2025 में जिला प्रशासन ने BCCL और उसकी आउटसोर्सिंग साझेदार कंपनी Dev Prabha को 15 दिन में वन भूमि से अवैध मलबा हटाने का आदेश जारी किया । आसपास के क्षेत्र में लगभग 200 एकड़ वन भूमि भू-प्रदूषण का शिकार हुई। प्रशासन ने BCCL की भूमिका पर सवाल उठाया और कंपनियों को चेताया कि नहीं मिट्टी हटाई तो “कठोर कार्रवाई की जाएगी” ।
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इसी महीने सांसद और विधायकों ने भारी विस्फोटों के कारण सड़क, जल पाइपलाइन, घरों और नागरिक स्वास्थ्य पर असर होने की शिकायत की। उन्होंने DGMS को निगरानी तेज करने और BCCL पर FIR दर्ज करने की सिफारिश की।
2025: भ्रष्टाचार—CMPF कर्मचारी रिश्वत ले रहे पकड़े गए
जून 2025 में CBI ने Dhanbad Coal Mines Provident Fund कार्यालय के दो कर्मचारियों को ₹20,000 रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा, जो BCCL के सेवानिवृत कर्मचारी के लिए पेंशन फाइल कराने की प्रक्रिया में शामिल थे ।
2025: अपराध नेटवर्क और संपत्ति जब्ती
जून-अंत में पुलिस ने “Wasseypur” क्षेत्र से गैंगस्टर प्रिंस खान के सहयोगी रित्तिक खान की संपत्ति जब्त की। इन पर आर्म्स एक्ट का मामला भी दर्ज है।
भ्रष्टाचार के कारण और प्रवृत्तियाँ
कोयला माफिया का साम्राज्य
कोयला व्यापार में अवैध उगाही, माफियाओं के बीच हथियारबंद संघर्ष, और राजनीतिक-प्रशासनिक आंकड़ों में मिलीभगत का पैटर्न स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है । कोयला माफिया न केवल स्थानीय खनन में हैं बल्कि उनका दायरा विद्युतीय संयंत्रों तक फैला हुआ है।
राजनैतिक संरक्षण और व्यवस्था
राजनैतिक नेता, पुलिस, अफसर और कोयला व्यापारी आपस में गठजोड़ बनाकर अवैध कोयला निकासी को सरल बनाते हैं। BJP-जगदान JMM संघर्ष इसका सबूत है ।
सरकारी भ्रष्टाचार
BCCL के सीनियर अधिकारियों द्वारा मिलीजुली कंपनियों को अतिरिक्त भुगतान, CMPF कार्यालय में रिश्वतखोरी, NRHM स्कैम जैसे मामले स्पष्ट दर्शाते हैं कि खनन चीप लेवल से लेकर हाई लेवल तक भ्रष्टाचार फैला हुआ है ।
पर्यावरण एवं स्वास्थ्य: अनदेखी स्थिति
वन भूमि पर कोयला अधिभार, भारी विस्फोटों से सड़क, जल और प्लांट जीवन पर असर तथा भूमिगत आग और धंसती ज़मीन ने स्थानीय निवासियों का जीवन प्रभावित किया है ।
सामाजिक-स्वास्थ्य और विकास संबंधी प्रभाव
सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट
गहरी विस्फोटों और कोयला मलबों के कारण आस-पास के लोगों में सांस संबंधी बीमारियाँ बढ़ रही हैं। बस्तियों में जल-अवरोध, धूल, गैस का प्रभाव स्पष्ट रूप से महसूस होता है।
सुरक्षा और श्रमिक जीवन
खनन में सुरक्षा उपायों की कमी से हादसे होते हैं। भूमिगत आग के कारण भूमि धंसाव, पुराने हादसों का ब्लैकहोल बना रहना, आज भी खतरा है।
विस्थापन और जीवन पद्धति परिवर्तन
झरिया का 400,000 से अधिक आबादी विस्थापन की स्थिति में है, लेकिन उचित पुनर्वास प्रणाली अभी तक व्यावहारिक रूप से लागू नहीं हुई है । भूमिगत आग और प्रदूषण से लोगों को असुरक्षित वातावरण का सामना करना पड़ रहा है।
तीसरा पक्ष: सकारात्मक पहलें और बचाव
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अगस्त 2024 में ED और CBI ने कई एनकाउंटर किए—NRHM घोटाला, CMPF रिश्वत, BCCL घोटाला आदि—जो यह संकेत है कि केंद्रीय एजेंसियाँ सक्रिय जांच कर रही हैं।
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जून 2025 में जिला प्रशासन ने वन भूमि की रक्षा के लिए कार्रवाई ली और विस्फोटों की सुरक्षा के लिए सांसदों/विधायकों ने DGMS को आगाह किया ।
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“World Day Against Child Labour” (जून 2025) में सामाजिक संगठनों ने बालश्रम के खिलाफ रैली निकाली—यह एक सकारात्मक सामाजिक प्रतिबद्धता है ।
आगे के संभावित रास्ते
सरकारी निगरानी में सुधार
DGMS और डीएम स्तर पर सतर्कता बढ़ाई जाए, विस्फोटों और पर्यावरणीय असर की नियमित जांच हो।
BCCL में पारदर्शिता लानी होगी—ऑडिट सिस्टम को मजबूत बनाना होगा।
कानून और प्रवर्तन
कोयला लूट, माफिया की रात की डकैती, गैंगस्टर गतिविधियों—इन सबके खिलाफ सघन जांच, तेज कार्रवाई और न्याय सत्ता में स्थिरता लाने से सामाजिक न्याय स्थिर होगा।
सामाजिक और पारिस्थितिक पुनर्वास
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झरिया विस्थापन योजना को पुनर्जीवित कर उचित रूप से सीधे जनता तक पहुंचाया जाए।
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पर्यावरणीय पुनर्वास—वन भूमि को साफ करें, मलबा हटाएँ, प्रदूषण को नियंत्रित करें।
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श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए प्रशिक्षित कर्मियों को तैनात करें और नियमित निरीक्षण कराएं।
समुदाय सहभागिता और शिक्षा
बालश्रम और साक्षरता सुधार तक््षणकों के जरिए बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने से दीर्घकालिक सकारात्मक बदलाव आएँगे। समुदाय के माध्यम से पारदर्शिता और जागरूकता लानी चाहिए।
धनबाद का कोयला संकट केवल खनन का मोर्चा नहीं, यह भ्रष्टाचार, राजनीतिक रिश्तों, पर्यावरणीय और सामाजिक जटिलताओं का एक सामूहिक बिंदु है। हाल की घटनाओं से स्पष्ट है कि जांच एजेंसियाँ—ED, CBI, जिला प्रशासन—गतिविधि कर रही हैं, लेकिन इसे प्रभावी रूप से समाप्त करने के लिए बहुविकल्पी रणनीति—कानूनी कार्रवाई, प्रशासनिक सुधार, सामाजिक-आर्थिक पुनजीवन और पारदर्शी प्रबंधन—की आवश्यकता है।
नागरिक दबाव एवं निगरानी भी महत्वपूर्ण है—स्थानीय संगठन, नागरिक समुदाय, मीडिया लगातार सवाल उठाते रहें; साथ ही सरकारी स्तर पर नीति निर्माण में सक्रिय नजरिया अपनाया जाए।