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बांग्लादेश में उथल-पुथल: शेख हसीना ने इस्तीफा देकर भारत में ली शरण

राजकुमार राजपूत - संवाददाता

ढाका: बांग्लादेश में हालिया हफ्तों में जबरदस्त राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसा का दौर चल रहा है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों और बढ़ती हिंसा के बीच अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और भारत में शरण ली है। यह घटनाक्रम सरकार विरोधी प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप हुआ है, जो सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग के साथ शुरू हुए थे।

जून में शुरू हुए छात्र समूहों द्वारा कोटा प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शन जल्द ही शेख हसीना की सरकार के खिलाफ व्यापक आंदोलन में बदल गए। जुलाई के मध्य से अब तक लगभग 300 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें छात्र, आम नागरिक और पुलिस अधिकारी शामिल हैं। इस हिंसा के चलते देश में स्थिति अत्यंत तनावपूर्ण हो गई है।

लगातार बढ़ते विरोध और हिंसा को देखते हुए, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया और भारत में शरण ले ली। यह उनके 15 साल के शासन का अचानक और नाटकीय अंत है। हसीना के इस्तीफे की खबर के बाद, ढाका और अन्य प्रमुख शहरों की सड़कों पर जश्न का माहौल था। लोग झंडे लहराते हुए, ढोल-नगाड़ों के साथ सड़कों पर उतर आए।

देश में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बांग्लादेश के सेना प्रमुख, जनरल वाकर-उज़-ज़मान ने एक अंतरिम सरकार बनाने की घोषणा की है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस सरकार का नेतृत्व कौन करेगा और इसमें कौन-कौन शामिल होंगे। जनरल ज़मान ने अपने टेलीविज़न संबोधन में कहा, “देश ने बहुत कुछ सहा है, अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, कई लोगों की जान गई है – अब हिंसा को रोकने का समय है।”

संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है और हिंसा को तत्काल समाप्त करने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया है और जवाबदेही की मांग की है।

बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। सेना द्वारा बनाई जा रही अंतरिम सरकार के भविष्य को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या यह सरकार छात्रों और आम जनता की मांगों को पूरा कर पाएगी या नहीं, यह देखने वाली बात होगी। इसके अलावा, एक स्थायी और संवैधानिक समाधान की तलाश की जा रही है, जिससे देश में शांति और स्थिरता कायम हो सके।

इस कठिन समय में, बांग्लादेश को अपने राजनीतिक और सामाजिक ढांचे में महत्वपूर्ण बदलावों की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके और देश को एक स्थायी और समृद्ध दिशा में ले जाया जा सके।

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