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गोविंदपुर (धनबाद) — रोज़मर्रा की यातायात त्रासदी: जाम, प्रशासन और आम आदमी की दिक्कतें

समीर सिंह 'भारत' : मुख्य संपादक


धनबाद : धनबाद जिले के गोविंदपुर क्षेत्र में रोज़मर्रा की यातायात जाम (ट्रैफिक जाम) एक स्थायी समस्या बन चुकी है। खासकर मुख्य मार्ग GT Road (NH-19) पर जाम के कारण स्थानीय लोगों का रोज़मर्रा का जीवन बाधित हो रहा है — स्कूल बसें, एम्बुलेंस, पब्लिक बस, वैन, निजी वाहन आदि घंटों फसे रहते हैं। प्रशासन की घिसी-पिटी कार्रवाई, अधूरे रोड व चौड़ीकरण काम, अतिक्रमण और ट्रैफिक व्यवस्थापन की कमी ने समस्या को और विकराल बना दिया है। इस लेख में हम विस्तार से देखेंगे कि समस्या कहां से शुरू होती है, किन कारणों से बढ़ती है, स्थानीय जनता को क्या–क्या परेशानियाँ झेलनी पड़ती हैं, प्रशासन क्या कह रहा है, और इस व्यवस्था से निकलने की क्या राहें सुझाई जा रही हैं।

गोविंदपुर में ट्रैफिक जाम — आम सी समस्या नहीं

पिछले कुछ सालों में, गोविंदपुर का GT रोड (NH-19) बार-बार जाम की चपेट में आता रहा है। एक प्रमुख रिपोर्ट के अनुसार —

  • मार्च 2025 में, एक शनिवार को GT रोड पर “महाजाम” लगा — सड़क पूरी तरह ठप रही, न तो ट्रैफिक पुलिस, न ही स्थानीय थाना पुलिस समय पर पहुंची; कई एम्बुलेंस फँसी रहीं।

  • फरवरी 2025 में, जाम की समस्या इतनी गहरी थी कि चौथे दिन तक वही जाम बना रहा। वाहन कतारों में फँसे रहे, लोगों को मुश्किल हुई।

  • स्थानीय निवासियों ने शिकायत की है कि रोज-रोज GT रोड जाम हो जाने की वजह से उनका व्यवसाय प्रभावित होता है। दुकानदारों का कहना है कि बिक्री नहीं होती, ग्राहक नहीं आते।

ऐसा लगता है कि यह समस्या “कभी-कभी” की नहीं है — बल्कि एक नियमित, रोज़मर्रा का संकट बन चुकी है, जिससे जीना मुश्किल हो गया है।

समस्या की जड़ें: क्या कारण हैं?

जाम की समस्या के पीछे कई कारण माने जाते हैं — और इनमें प्रशासनिक, भौतिक और सामुदायिक दोनों तरह की गलतियाँ शामिल हैं। प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

🚧 अधूरी सडक एवं चौड़ीकरण कार्य

  • सोर्स बताते हैं कि GT रोड और उससे जुड़े अन्य सड़क खंडों के चौड़ीकरण और सुधार के काम अधूरे पड़े हैं। उदाहरण के लिए, 2025 में विधानसभा में लोक प्रतिनिधि Raj Sinha ने यह बताया था कि शहर के “Steel Gate” के पास 500 फीट की सड़क चौड़ीकरण परियोजना अधूरी है — इसी कारण एक बोतल-नेक (संकुचित सड़क) बन गया है, जिससे हर दिन भारी ट्रैफिक जाम उत्पन्न होता है।

  • गोविंदपुर-निरसा (या अन्य समीपवर्ती इलाकों) के लिए प्रस्तावित छः-लेन बाईपास एवं एलिवें टेड रोड परियोजनाएँ इस जाम की समस्या से निजात दिलाने की कोशिश है। लेकिन, जब तक वो बनकर नहीं खुलती — वर्तमान जाम जारी रहेगा।

🏪 अतिक्रमण और साइड-लेन/सर्विस-लेन की कमी

  • स्थानीय नागरिकों ने यह शिकायत की है कि GT रोड और आसपास के हिस्सों में अतिक्रमण मौजूद है — दुकानें, अस्थायी ठेले, अनियमित पार्किंग आदि। इन सबने सड़क को संकीर्ण कर दिया है।

  • सर्विस-लेन या अलग लेन की कमी की वजह से, स्थानीय यातायात (निजी वाहन, मोपेड, रिक्शा) और लंबी दूरी के वाहनों का मिश्रण हो जाता है — जिससे जाम और दुर्घटनाएँ होती हैं।

🚗 बढ़ता वाहन और ट्रैफिक प्रबंधन की कमी

  • गोविंदपुर GT रोड से कई रास्ते जुड़े हैं — निरसा, टुंडी, आसपास ग्रामीण इलाकों व अन्य शहरों का आवागमन। इस कारण दिन में भारी वाहन आवागमन होता है।

  • हालांकि ट्रैफिक पुलिस या प्रशासन कभी-कभी कार्रवाई करते हैं — परन्‍तु प्रणालीगत कमी, सहयोग की कमी या संसाधन की कमी के कारण जाम रोज़ बना रहता है। उदाहरण के लिए, कई बार पुलिस व थाने की गैर-मौजूदगी या देर से आने के कारण जाम बढ़ जाता है।

जाम का असर — आम आदमी के जीवन पर दुष्प्रभाव

ट्रैफिक जाम सिर्फ़ असुविधा नहीं है; इसके विस्तार में अनेक सामाजिक, आर्थिक और मानवीय समस्याएं हैं।

  • यातायात बाधा: स्कूल बसें, नौकरी करने जाने वाले लोग, मेडिकल आपातकाल (जैसे एम्बुलेंस) — सभी प्रभावित होते हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जाम की वजह से कई एम्बुलेंस फँसी थीं।

  • व्यवसाय में हानि: दुकानदारों का कहना है कि जाम के कारण ग्राहकों की आवक बंद हो जाती है, उन्हें ग्राहकी नहीं मिलती, जिससे रोज़ी-रोटी प्रभावित होती है।

  • सार्वजनिक सेवाओं व सुविधाओं पर असर: पानी की आपूर्ति, स्वास्थ्य सुविधाएँ, स्कूल-कॉलेज आदि — सब प्रभावित। उदाहरण के लिए, एक रिपोर्ट में कहा गया कि गोविंदपुर वासियों की पानी की समस्या भी है।

  • दुर्घटनाओं का जोखिम: जाम और संकुचित सड़कों के कारण दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं। 2025 में GT-19 पर एक भीषण सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें पाँच गाड़ियों की टक्कर हुई।

इन सबके बीच, आम नागरिक हर रोज़ तनाव, असुविधा और असुरक्षा के माहौल में जीने को मजबूर है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया — क्या किया जा रहा है?

समस्या को देखते हुए, स्थानीय प्रशासन व अन्य अधिकारियों पर दबाव बढ़ा है। कुछ प्रयास हुए हैं —

  • 2024 में, एक बैठक के दौरान अधिकारियों ने कहा कि जाम का प्रमुख कारण अतिक्रमण और सड़क की संकुचित चौड़ाई है। उन्होंने “अतिक्रमण हटाओ अभियान” शुरू करने का वादा किया।

  • फरवरी 2025 में, जिला प्रशासन ने GT रोड का मुआयना किया, जाम के कारणों की जांच की और कई निर्देश जारी किए।

  • कुछ जगहों पर सर्विस-लेन (service lane) व रंबल-स्ट्रिप आदि की स्थापना शुरू की गयी है ताकि ट्रैफिक को व्यवस्थित किया जा सके।

  • भविष्य में प्रस्तावित बाईपास और एलिवेटेड रोड जैसी बड़ी परियोजनाएँ — जो GT Road के जाम ग्रस्त खंडों को दरकिनार करेंगी — इसे व्यावहारिक समाधान की दिशा में एक उम्मीद दिखाती हैं।

लेकिन, समस्या जटिल है — केवल वादों या आधे अधूरे कामों से जाम की स्थिति पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सकता।

क्यों नहीं हो रहा काम — प्रशासनिक और तात्कालिक चुनौतियाँ

जाम समस्या का स्थायी समाधान क्यों नहीं हो पाया — इसके पीछे कई तात्कालिक व प्रणालीगत बाधाएँ हैं:

  • भूमि अधिग्रहण व औपचारिकताएँ: सड़क चौड़ीकरण या बाईपास के लिए ज़रूरी भूमि अधिग्रहण, पारदर्शी प्रक्रिया और मुआवज़े आदि ऐसी बातें हैं, जिनमें देरी होती है — जिससे काम अटक जाता है।

  • अतिक्रमण व सामाजिक-आर्थिक दबाव: जिस सड़क के किनारे दुकानदार, छोटे व्यवसाय, अस्थायी ठेला आदि हैं — वहाँ अतिक्रमण हटाना मतलब livelihoods को छूना। लोग विरोध करते हैं, जिससे प्रशासन मुश्किल में पड़ता है।

  • संसाधन व प्रबंधन की कमी: ट्रैफिक पुलिस, संसाधन (ट्रैफिक सिग्नल, रोड मार्किंग, सर्विस-लेन) की कमी — ये सभी समस्या को और बढ़ा देते हैं।

  • उत्तरदायित्व की कमी एवं राजनीतिक असमंजस: कई बार नेताओं, अधिकारियों व विभागों के बीच टकराव, प्राथमिकता में दिक्कत — इन सबकी वजह से काम औपचारिकता में फँस जाता है।

क्या हो सकते हैं दीर्घकालीन समाधान?

अगर समस्या को जड़ से हल करना है, तो सिर्फ़ पलायन या तात्कालिक सुधार से काम नहीं चलेगा। इसके लिए व्यापक, संगठित और समवेत प्रयास जरूरी हैं। कुछ प्रस्तावित उपाय:

  1. सड़क बाईपास एवं एलिवेटेड मार्ग — प्रस्तावित छः-लेन बाईपास और एलिवेटेड रोड का timely और पारदर्शी निर्माण — जिससे GT Road जैसे भीड़भाड़ वाले हिस्सों से भारी वाहनों का प्रवाह हटे।

  2. सर्विस-लेन व सड़क विस्तार — मुख्य मार्गों के साथ-साथ स्थानीय साइड-लेन, सर्विस-लेन, पैदल पथ आदि बनाएं ताकि स्थानीय व लंबी दूरी के वाहनों एवं पैदल यात्रियों के लिए अलग व्यवस्था हो।

  3. अतिक्रमण हटाओ + पुनर्व्यवस्था — सिर्फ अतिक्रमण हटाना नहीं बल्कि प्रभावित दुकानदारों, व्यावसायियों को वैकल्पिक स्थान या पुनर्वास देना। ताकि उनका रोज़ी-रोटी बाधित न हो।

  4. ट्रैफिक प्रबंधन व पुलिस व्यवस्था मजबूत करें — समय पर ट्रैफिक पुलिस की तैनाती, सिग्नल व संकेत बोर्ड, वाहन व पार्किंग व्यवस्था, सड़क चिन्ह और मॉनिटरिंग — इन सबको उचित रूप से लागू करें।

  5. सार्वजनिक परिवहन व वैकल्पिक मार्ग — पब्लिक बस, शेयर-वैन, लोकल परिवहन व्यवस्था सुधारें; साथ ही, यदि संभव हो — मेट्रो, मेट्रो-रेल, या लाइट-रेल जैसी दीर्घकालीन योजना पर विचार करें।

आम जनता की आवाज़ — शिकायत, आक्रोश और उम्मीद

गोविंदपुर के निवासियों की नाराज़गी स्वाभाविक है। दैनिक जीवन प्रभावित, रोज़मर्रा की परेशानियाँ, समय की बर्बादी, आर्थिक नुकसान — ये सब उनके लिए रोज़मर्रा की हकीकत है। उनके अनुसार:

“रोज़-रोज़ जाम, दुकान-दुकान बंद, ग्राहकी नहीं — दुकानदारों का कारोबार चौपट हो जाता है।”
“स्कूल जाने वाले बच्चे, अस्पताल जाने वाले मरीज, सभी परेशान — ट्रैफिक पुलिस भी नहीं आती।”

लेकिन साथ ही, लोगों में उम्मीद भी है — कि यदि प्रशासन व सरकार गंभीर हो जाए, वे वादे पूरा करें, और दीर्घकालीन समाधान करें — तो गोविंदपुर को भी एक “सुव्यवस्थित क्षेत्र” बनाया जा सकता है।

गोविंदपुर (धनबाद) की समस्या सिर्फ ट्रैफिक जाम की नहीं है — यह विकास, प्रशासनिक जवाबदेही, सामाजिक न्याय और आम लोगों के रोज़मर्रा के जीवन का मसला है।

यदि सिर्फ तात्कालिक उपायों (जैसे कभी-कभी पुलिस भेजना, साइन बोर्ड लगाना, या अस्थायी मरम्मत) तक सीमित रहा — तो समस्या फिर से लौट आएगी। लेकिन यदि प्रस्तावित बाईपास, एलिवेटेड रोड, सड़क विस्तार, अतिक्रमण हटाओ, सार्वजनिक परिवहन व ट्रैफिक प्रबंधन जैसी ठोस, दीर्घकालीन और समन्वित योजनाएँ लागू की जाएँ — तो गोविंदपुर में जाम, दुर्घटनाएँ, असुविधा और सामाजिक व आर्थिक बोझ कम हो सकता है।

यही नहीं — ऐसी व्यवस्था से धनबाद का विकास, वहां की अर्थव्यवस्था, स्थानीय livelihoods और सामाजिक शांति — सब बेहतर हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए ज़रूरत है — प्रशासन की जवाबदेही, जन भागीदारी और नागरिकों की जागरूकता की।

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