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उन्नाव में महिला बीसी एक्सपोजर विजिट, BIRD लखनऊ द्वारा आयोजित

समीर सिंह: प्रधान संपादक

उन्नाव-उत्तर प्रदेश:-“वन स्टेट, वन आरआरबी” पहल के अंतर्गत, उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक से जुड़ी बैंक सखी श्रीमती सत्यवती देवी द्वारा संचालित बिजनेस करेस्पॉन्डेंट (BC) सेवा केंद्र, आमदपुरवाडे, उन्नाव में एक महत्वपूर्ण एक्सपोजर विज़िट आयोजित की गई। यह दौरा BIRD (बैंकर्स इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट), लखनऊ द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य बैंक सखी मॉडल की प्रभावशीलता और चुनौतियों को समझना और ग्रामीण वित्तीय समावेशन में इसकी भूमिका को उजागर करना था।

फील्ड विज़िट का अवलोकन

प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन आयोजित इस विज़िट के दौरान प्रतिभागियों ने देखा कि कैसे महिला बीसी, जैसे कि श्रीमती सीमा सिंह, जो 2014 से उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक के साथ जुड़ी हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं की पहुँच को बेहतर बना रही हैं। कार्यक्रम में क्रेडिट एक्सेस ग्रामीण लिमिटेड के प्रतिनिधि श्री अमित प्रताप सिंह और श्री विशाल कुमार सिंह की उपस्थिति और सहयोग रहा। इसके अतिरिक्त, धनशृष्टि भविष्य निधि ट्रस्ट, कई एमएफआई, बैंक प्रतिनिधि और BIRD के कार्यक्रम निदेशक डॉ. उदिता अग्रवाल एवं डॉ. शेहल एम. बंसोड़ की भी उपस्थिति रही। कार्यक्रम में सुश्री मेघना मिस्त्री का विशेष सहयोग उल्लेखनीय रहा।

सामुदायिक स्तर पर लाभ

बैंक सखियों ने ग्रामीण समुदायों को घर के दरवाज़े पर बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध करवाई हैं। प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • खाता सेवाएं: खाते खोलना और नकद जमा की सुविधा।

  • सरकारी योजनाएँ: PMJJBY और अटल पेंशन योजना (APY) के अंतर्गत व्यापक नामांकन; अकेले श्रीमती सीमा सिंह ने 2,500 से अधिक APY नामांकन किए हैं।

  • सामाजिक सुरक्षा: एक उदाहरण में, कैंसर से मृत्यु के बाद एक परिवार को PMJJBY के अंतर्गत ₹2 लाख की राशि प्राप्त हुई – यह दिखाता है कि कैसे वित्तीय समावेशन जीवन बदल सकता है।

बैंक सखियों का सशक्तिकरण

बैंक सखियों के लिए यह केवल रोजगार का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता का साधन भी है:

  • आय का साधन: खाता खोलने पर ₹5–10, जमा पर 0.4% कमीशन, नोटिस देने पर ₹10 का भुगतान।

  • प्रशिक्षण और तकनीकी उपकरणों (POS मशीन, किओस्क) के माध्यम से कौशल विकास।

  • पारिवारिक प्रगति: सीमा सिंह की बेटी अब LIC एजेंट बन चुकी हैं – यह इस मॉडल के सामाजिक प्रभाव को दर्शाता है।

चुनौतियाँ

बैंक सखियों को कई संरचनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:

  • स्थायी आय नहीं – केवल कमीशन आधारित अस्थिर आमदनी।

  • सीमित नकद प्रवाह और ओवरड्राफ्ट सीमा, जिससे अधिक मांग वाले समय में सेवाएं बाधित होती हैं।

  • सुरक्षा की कमी – बड़ी रकम के लेनदेन में जोखिम।

  • तकनीकी सीमाएँ – कुछ किओस्क रसीद नहीं देते, जबकि ग्राहक लिखित प्रमाण चाहते हैं।

  • संवाद में कमी – नई योजनाओं की जानकारी समय पर नहीं मिलती।

आगे के अवसर

कार्यक्रम में यह स्पष्ट किया गया कि यदि सही कदम उठाए जाएं तो यह मॉडल और अधिक प्रभावी बन सकता है:

  • ओवरड्राफ्ट सीमा बढ़ाई जाए – प्रदर्शन आधारित BC को ₹1 लाख तक की अनुमति मिले।

  • न्यूनतम स्थायी आय सुनिश्चित की जाए ताकि वित्तीय सुरक्षा मिले।

  • और अधिक स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं को प्रशिक्षित कर जोड़ा जाए।

  • बुनियादी ढांचे और बैंक-BC के बीच संवाद को सुदृढ़ किया जाए।

निष्कर्ष

यह एक्सपोजर विज़िट दर्शाता है कि श्रीमती सत्यवती देवी और श्रीमती सीमा सिंह जैसी महिलाएं ग्रामीण वित्तीय समावेशन के लक्ष्यों को साकार करने में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। BIRD और अन्य स्थानीय संस्थाओं के सहयोग से, ये महिलाएं एक वित्तीय रूप से सशक्त और सुरक्षित ग्रामीण भारत के निर्माण में योगदान दे रही हैं। यह कार्यक्रम जहां उनके कार्यों का सम्मान था, वहीं नीति, प्रशिक्षण और सहयोग के ज़रिए इस मॉडल को और मजबूत करने का आह्वान भी।

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