
बलूचिस्तान-नई दिल्ली – बलोच राजनीति के इतिहास में मीर यार बलोच का नाम एक प्रेरणास्रोत और संघर्ष की मिसाल के तौर पर दर्ज है। उन्होंने न केवल बलोच जनता के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई, बल्कि स्वतंत्र बलोचिस्तान की अवधारणा को भी जीवित रखा और उसे दिशा देने का काम किया।
मीर यार बलोच का जन्म बलूचिस्तान के एक ग्रामीण इलाके में हुआ था। बचपन से ही उन्होंने अपने समाज में फैली गरीबी, भेदभाव और राजनीतिक उपेक्षा को देखा और महसूस किया। शिक्षा के साथ-साथ उन्होंने बलूच संस्कृति, भाषा और इतिहास का गहरा अध्ययन किया, जिसने उनके अंदर बलोच पहचान की भावना को और प्रबल किया।
उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र आंदोलन से हुई, जहाँ उन्होंने युवाओं को संगठित किया और सामाजिक जागरूकता फैलाने का कार्य किया। मीर यार बलोच ने बलोचिस्तान की स्वायत्तता और अधिकारों की मांग को लेकर कई आंदोलनों की अगुवाई की। उनका मानना था कि बलोच जनता को अपनी ज़मीन, संसाधनों और राजनीतिक निर्णयों पर पूर्ण अधिकार मिलना चाहिए।
मीर यार बलोच उन प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने स्वतंत्र बलोचिस्तान की बात को मुखरता से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया। उन्होंने इसे केवल एक राजनीतिक मांग नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान की रक्षा के रूप में प्रस्तुत किया।
उनका यह दृष्टिकोण उन्हें पाकिस्तान सरकार के विरोध में ले आया, और उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। लेकिन उनके विचार और सिद्धांतों में कभी कोई बदलाव नहीं आया। वे कहते थे, “हम अपनी पहचान और ज़मीन के लिए जूझ रहे हैं – यह सिर्फ राजनीति नहीं, आत्म-सम्मान की लड़ाई है।”
मीर यार बलोच आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने जो आंदोलन शुरू किए, वे आज भी विभिन्न संगठनों के माध्यम से जारी हैं। स्वतंत्र बलोचिस्तान की मांग भले ही विवादास्पद रही हो, लेकिन उनके बलिदान, विचार और नेतृत्व को नकारा नहीं जा सकता।
उनकी विरासत बलोच राजनीति और सांस्कृतिक चेतना में आज भी जीवित है।