Advertisement
अर्थव्यवस्था

महिला और माइक्रो उद्यमियों को सबसे ज्यादा लोन की दिक्कत

संपादकीय

नई दिल्ली: देश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को यदि उनकी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त क्रेडिट सुविधा उपलब्ध हो जाए, तो यह क्षेत्र बड़े पैमाने पर रोजगार का स्रोत बन सकता है। स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (SIDBI) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में एमएसएमई क्षेत्र में क्रेडिट की मांग और आपूर्ति के बीच करीब 30 लाख करोड़ रुपये का अंतर है।

इसके बावजूद, एमएसएमई मंत्रालय के ‘उद्यम पोर्टल’ पर मार्च 2025 तक 6.2 करोड़ एमएसएमई पंजीकृत हैं, जो कुल मिलाकर 25.95 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि क्रेडिट की सबसे अधिक समस्या माइक्रो श्रेणी के उद्यमियों को झेलनी पड़ती है।

नई और महिला उद्यमियों, साथ ही निर्यात में शामिल एमएसएमई के लिए भी सबसे पहली चुनौती कर्ज की उपलब्धता है। SIDBI ने सुझाव दिया है कि फिनटेक प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से क्रेडिट की पहुंच को आसान बनाया जा सकता है।

चेंबर ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज के अध्यक्ष मुकेश मोहन गुप्ता के अनुसार, यदि उद्यमियों को उनकी आवश्यकता के अनुसार ऋण मिलने लगे, तो एमएसएमई क्षेत्र में पाँच करोड़ नए रोजगार उत्पन्न किए जा सकते हैं। इसके साथ ही ये उद्यम अपने कर्मचारियों को बेहतर वेतन और सुविधाएं देने में सक्षम हो सकेंगे।

वर्तमान में कम वेतन के कारण कुशल और तकनीकी रूप से दक्ष कारीगर अक्सर कॉर्पोरेट सेक्टर की ओर रुख कर लेते हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन एमएसएमई के महासचिव अनिल भारद्वाज ने बताया कि एक बड़ी समस्या यह है कि करीब 80% एमएसएमई अनधिकृत इलाकों से अपना कारोबार चला रहे हैं। यही वजह है कि उन्हें बैंक ऋण प्राप्त करने में दिक्कत होती है।

समाधान के तौर पर, शहरी निकायों को ऐसे क्षेत्रों को अधिकृत घोषित करना चाहिए, जिससे उद्यमियों को बैंकिंग सेवाएं आसानी से मिल सकें। अनधिकृत स्थानों से संचालन की वजह से उनकी लागत भी ज्यादा होती है।

SIDBI की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बैंकों से लोन मिलने में सबसे बड़ी बाधाएँ हैं –

जटिल दस्तावेजी प्रक्रिया

उच्च ब्याज दरें

सरकारी सब्सिडी की कमी

रिपोर्ट में शामिल एक सर्वेक्षण के अनुसार:

22% एमएसएमई को लोन के लिए सरकारी सब्सिडी व अनुदान की आवश्यकता है।

19% ने कहा कि बैंक की दस्तावेजी प्रक्रिया बड़ी बाधा है।

13% ने ब्याज दरों में कटौती और डिजिटल लोन को बढ़ावा देने की मांग की है।

लोन की उपलब्धता के मामले में सबसे अधिक दिक्कत 33% ट्रेडिंग सेक्टर को आती है। इसके बाद

27% सेवा क्षेत्र (Service Sector)

20% विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sector)
के एमएसएमई को समय पर कर्ज नहीं मिल पाता।

इसके अलावा, 35% महिला उद्यमियों को भी उनकी जरूरत के अनुसार लोन नहीं मिल पाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}