महाराष्ट्र चुनाव 2024: अमित शाह के बयान से महायुति में फूट की अटकलें तेज”
जावेद अत्तार : ब्यूरो चीफ
पुणे: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 को देखते हुए महायुति और महा विकास अघाड़ी ने कड़ी मेहनत शुरू कर दी है। यहां तक कि महागठबंधन के घटक दल भाजपा, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भी अधिक सतर्क हैं क्योंकि वे सत्ता में हैं।
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के महाराष्ट्र दौरे के दौरान दिए गए बयान से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री अजित पवार हैरान हो गए हैं। शाह ने बयान दिया है कि इस बार (2024) विधानसभा चुनाव में महायुति सत्ता में आएगी, लेकिन विधानसभा चुनाव 2029 में बीजेपी अकेले सत्ता में आएगी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हम विधानसभा चुनाव जीत रहे हैं। नेताओ को काम मिल गया। किसी भी सर्वे और बयान पर ध्यान न दें। हम वर्तमान विधानसभा चुनाव (2024) जीत रहे हैं। लेकिन साल 2029 में महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा में बीजेपी की जीत होने जा रही है।
इसलिए सभी ने जमकर तैयारी शुरू कर दी। राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि बीजेपी नेता शाह के बयान में कहीं महागठबंधन टूटने का संकेत तो नहीं छिपा है। क्योंकि बीजेपी महागठबंधन में सबसे बड़ा घटक दल है। बाकी शिवसेना (शिंदे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) ने मूल पार्टी से बगावत कर दी है और हाल ही में महागठबंधन में शामिल हो गए हैं। स्वाभाविक रूप से इन पार्टियों के राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंता बढ़ गई है।
एकनाथ शिंदे ने उस वक्त बगावत की थी जब पार्टी नेता उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे। उन्होंने सत्ता में रहते हुए अपनी ही पार्टी की सरकार को उखाड़ फेंका। वह करीब 30 विधायकों के साथ सूरत होते हुए गुवाहाटी गए। वहां उनके साथ विधायकों की संख्या करीब 40 हो गई। उन्होंने न सिर्फ अपनी पार्टी की सरकार गिरा दी बल्कि सीधे तौर पर पार्टी पर दावा भी ठोक दिया। केंद्रीय चुनाव आयोग की तत्परता से उन्हें नाम मिला ‘शिवसेना’ और पार्टी का चिह्न, धनुष-बाण।
खुली चर्चा है कि यह सब भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार के वर्चस्व के कारण हुआ। इसलिए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस पार्टी और इसके नेतृत्व का भविष्य बीजेपी पर ही निर्भर है। ऐसे में बीजेपी के प्रमुख नेता ने यह बयान दिया है और पार्टी में चिंता के स्वर उठने लगे हैं। समझा जाता है कि खुद दस्तूर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी चिंतित हैं।
एनसीपी पार्टी और घड़ी को पार्टी का चुनाव चिन्ह बताकर केंद्रीय चुनाव आयोग की कृपा पाने वाले उप मुख्यमंत्री अजित पवार और कम्पू के बीच काफी हलचल मची हुई है। अमित शाह के बयान का सीधा मतलब यह है कि विधानसभा नवदानुक 2024 भले ही महागठबंधन लड़ रहा है, लेकिन यह निश्चित नहीं है कि यह महागठबंधन आगे भी जारी रहेगा।
इसलिए, भले ही हम अब एक साथ लड़ें, हमें भविष्य में अपने दम पर लड़ना होगा। तो क्या सब को अब अलग लड़ना चाहिए या नहीं? ऐसा सवाल अजित पवार के हलके में उठ खड़ा हुआ है। ऐसी भी संभावना है कि कई विधायक वापस शरद पवार के पास चले जाएंगे। इस वजह से यह जिज्ञासा पैदा हो गई है कि महायुति का आगे क्या होगा।