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जन दर्शन- विकास

निःशुल्क शिक्षा हेतु प्रस्तुत एक परिवर्तनकारी पहल -आर्ट ऑफ लिविंग !!!

संपादकीय

बेंगलुरु: अपने मानवीय परियोजनाओं के लिए प्रसिद्ध आर्ट ऑफ लिविंग ने भारत भर के दूरदराज के शहरी, ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है। इन स्कूलों का लक्ष्य एक तनाव मुक्त परिवेश के अंतर्गत वंचित पृष्ठभूमि के बच्चों को सशक्त बनाकर व्यापक विचारधारा वाले व्यक्तित्व का निर्माण करना है। इस असाधारण पहल के पीछे गुरुदेव श्री श्री रविशंकर की प्रेरणाशक्ति है, जो कि विश्व स्तर पर प्रशंसित आध्यात्मिक गुरु और मानवतावादी हैं।

उनका गहरा विश्वास है, “शिक्षा द्वारा ही सभ्यता को बेहतर बनाया जा सकता है। इसमें सबसे कमजोर व्यक्ति को सशक्त बनाने, विश्व में शांति लाने और गरीबी को दूर करने की सामर्थ्य होती है। इसे अक्सर खुशी की तलाश में एकमात्र रोशन मार्ग के रूप में देखा गया है।”

इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, गुरुदेव श्री श्री रविशंकर की बहन श्रीमती भानुमति नरसिम्हन ने जरूरतमंद बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से उपक्रमों की स्थापना की और उनके विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  उनके करुणामय नेतृत्व ने अनगिनत बच्चों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है, तथा एक अधिक समतापूर्ण और सामंजस्यपूर्ण समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

इस पहल की शुरुआत 1981 में ग्रामीण बेंगलुरु में पहले स्कूल के उद्घाटन के साथ शुरू हुई, जिसमें उस समय 30 बच्चे पढ़ते थे। पिछले 42 वर्षों के दौरान यह पहल विकसित हुई है और अब भारत के 22 राज्यों में 1,262 स्कूल हैं, जो 1,00,000 से अधिक बच्चों को व्यापक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

मुख्य विशेषताएं:

  • 100% परिणाम: इन स्कूलों में उत्तीर्णता दर 100% है, कोई भी विद्यार्थी स्कूल को बीच में नहीं छोड़ता तथा 90% से अधिक उपस्थिति है।
  • व्यापक सहायता: छात्रों को मध्याह्न भोजन, चिकित्सा शिविर, सुसज्जित पुस्तकालय, साइकिल, स्कूल बस, पुस्तकें, कंप्यूटर प्रयोगशाला, खेल उपकरण और स्टेशनरी का लाभ मिलता है।
  • सर्वांगीण विकास: योग, प्राणायाम, सुदर्शन क्रिया (विश्व प्रसिद्ध श्वास क्रिया) और ध्यान के दैनिक अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मजबूत सिद्धांतों और जीवन कौशल का विकास होता है।
  • सामुदायिक विकास पहल: स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के लिए जागरूकता शिविर द्वारा तथा अभिभावकों के साथ नियमित बातचीत द्वारा बच्चों के लिए सकारात्मक वातावरण को प्रोत्साहित करने में मदद मिलती है।
  • शिक्षकों का सशक्तिकरण: शिक्षकों को सामुदायिक नेता और परिवर्तनकारी कार्यकर्त्ता बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, ताकि इस दिशा में सतत विकास किया जा सके।

प्रभावपूर्ण कहानियां:

प्रथम-पीढ़ी की सफलता: मनु सिंह ने 92.4% अंक प्राप्त कर जिला परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया खूंटी स्थित आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा चलाए जा रहे नि:शुल्क स्कूल के एक उत्कृष्ट छात्र मनु सिंह ने कक्षा दसवीं में 92.4% अंक प्राप्त कर 2024 जिला परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया है। मनु पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी हैं।

अनिल कुमार मुर्मू: राष्ट्र की सेवा करने की इच्छा रखने वाला अनिल कुमार मुर्मू, जो कि हेंदलजुरी में स्थित श्री श्री विद्या मंदिर हाई स्कूल में 8वीं कक्षा का छात्र है, आर्ट ऑफ लिविंग के स्कूलों द्वारा प्रदान किए गए सीखने के विविध अवसरों का उदाहरण प्रस्तुत करता है। शिक्षा के अलावा, अनिल को कंप्यूटर स्किल, रोबोट प्रोग्रामिंग, ड्राइंग, फुटबॉल और तीरंदाजी की कक्षाएं लेना पसंद है। उनके माता-पिता, जो गौरवान्वित किसान हैं, अनिल के लिए एक उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं, जो भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने की इच्छा रखता है।

सीमा गोप: आर्थिक बाधाओं को पार कर BSF में शामिल हुईं झारखंड के एक सुदूर गांव हेंदलजुरी की सीमा गोप की कहानी शिक्षा की शक्ति का प्रमाण प्रस्तुत करती है। सीमित आर्थिक साधनों वाले परिवार में पली-बढ़ी सीमा के माता-पिता उसकी स्कूली शिक्षा का खर्च उठाने में असमर्थ थे। हालांकि, श्री श्री विद्या मंदिर ने उन्हें निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ किताबें और यूनिफॉर्म जैसी आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध कराईं। इससे सीमा को अपनी पढ़ाई जारी रखने और सीमा सुरक्षा बल में शामिल होने के अपने सपनों को पूरा करने का मौका मिला।

बबीता पाथर: विद्यार्थी से शिक्षिका तक श्री श्री विद्या मंदिर की स्नातक बबीता पाथर अब संस्था की एक अन्य शाखा केसरपुर स्कूल में पढ़ाती हैं। अपनी अभी तक की यात्रा को याद करते हुए, बबिता अपने समर्पित शिक्षकों को उनकी कड़ी मेहनत और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के लिए आभार व्यक्त करती है। उनकी यह कहानी आर्ट ऑफ लिविंग के शैक्षिक प्रयासों के सतत प्रभाव को सबके समक्ष प्रस्तुत करती है।

सुधांशु साहू: उत्कृष्टता पर ध्यान केंद्रित करते हुए 2018 से, सुधांशु साहू हेंदलजुरी में श्री श्री विद्या मंदिर हाई स्कूल में पढ़ाते हैं। वह ऐसे दूरस्थ क्षेत्र में प्रत्येक बच्चे की प्रगति को प्रोत्साहित करने वाले पोषणकारी परिवेश को महत्व देते हैं। सुधांशु गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर बच्चों की शिक्षा में योगदान करने का अवसर मिलने के लिए आभारी हैं।

उल्लेखनीय उपलब्धियां एवं मान्यता

हेंदलजुरी फ्री स्कूल ने लगातार 12वें वर्ष शैक्षणिक उत्कृष्टता प्राप्त की: दसवीं कक्षा की JAC बोर्ड परीक्षा 2024 में, द आर्ट ऑफ लिविंग फ्री स्कूल हेंदलजुरी, घाटशिला के 76 छात्रों ने उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन किया। यह उपलब्धि विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि यह 100% सफलता दर हासिल करने वाला लगातार 12वां बैच है।

टाटा कोल्हान फुटबॉल टूर्नामेंट में छात्र उपविजेता बने हेंदलजुरी के छात्रों ने FTC बाराघाट (मुसाबनी) में आयोजित टाटा कोल्हान सुपर लीग फुटबॉल टूर्नामेंट में उपविजेता का स्थान प्राप्त किया।

अंतर-विद्यालय तीरंदाजी प्रतियोगिता में छात्रों ने कांस्य पदक जीता 7वीं कक्षा के छात्रों ने 29 सितंबर, 2023 को JRD टाटा फाउंडेशन की अंतर-विद्यालय तीरंदाजी प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता।

सतत शिक्षा के लिए सहयोगात्मक प्रयास

  • आर्ट ऑफ लिविंग, हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड और पहल फाउंडेशन की साझेदारी में, झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में निःशुल्क आदिवासी स्कूलों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। तीन स्कूलों में अब कंप्यूटर प्रयोगशालाएं पूरी तरह से तैयार की गयी हैं, जबकि दो स्कूलों में सौर फोटोवोल्टिक प्रणालियां स्थापित की गई हैं, जिससे स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा सुनिश्चित होगी। इसके अलावा, परिवहन सहायता के माध्यम से दूरदराज के आदिवासी बस्तियों के छात्रों को सहायता प्रदान की जाती है, जिससे शिक्षा तक उनकी पहुंच में सुधार होता है।

चालीस से अधिक वर्षों से, आर्ट ऑफ लिविंग शिक्षा के माध्यम से समाज को सशक्त बनाने का प्रयास कर रहा है। निःशुल्क स्कूली शिक्षा प्रदान करना, जो प्रायः कई लोगों, विशेषकर लड़कियों के लिए यह पहली बार की गयी है, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा तक उनकी पहुंच को बढ़ाता है। संगठन की यह पद्धति आध्यात्मिक और पारंपरिक शिक्षा को एक साथ प्रस्तुत करती है तथा समग्र विकास में योगदान प्रदान करती है।

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