भारी वाहन की चपेट में आनें से हुई थी तीन की मौत, जांच में सी गगन ट्रांसपोर्ट के ट्रेलर से दुर्घटना की हुई पुष्टि !!!
संजय मिश्रा
सीसीटीवी फुटेज और गवाहों के बयान से दुर्घटना कारित टेलर वाहन और मालिक की हुई शिनाख्त…
रायगढ़-छत्तीसगढ़ :-एक आम इंसान जहां इंसाफ की आस लगाए पुलिस प्रशासन पर भरोसा जताता है, वहीं पुलिस अगर शिकायत के महीनों बाद भी मूकदर्शक तमाशबीन बनें रहे तो आखिर आम इंसान इंसाफ के लिए किसके समक्ष गुहार लगाएगा।
ऐसा ही एक मामला खरसिया थाना में देखनें को मिल रहा है, जहां पर पीड़ित के शिकायत उपरांत 07 महीनों बाद भी ना तो पुलिस नें मामले में दुर्घटना करनें वाले आरोपी वाहन चालक को अपनी गिरफ्त में लिया और ना ही वाहन की जब्ती हो सकी है।
बताना लाजिमी होगा कि इस संबंध में प्रार्थी द्वारा पुलिस अधीक्षक महोदय से भी अपनी लिखित शिकायत की है, पीड़ित की शिकायत के अनुसार लगभग 07 माह पूर्व कोरबा जिला निवासी बहादुर सिंह अघरिया अपनें पुत्र घसियाराम अघरिया एवं रूपेंद्र राठिया सहित अपनें दो भतीजों रूप सिंह अघरिया, नारायण अघरिया एवं उसका साथी धूनेश्वर राठिया के साथ दो अलग-अलग मोटर साइकल से ग्राम बरगढ़ शिवलिंग में जलाभिषेक के लिए जा रहे थे, जहां से वापसी के दौरान रूपसिंह राठिया द्वारा चलाए जा रहे दो पहिया वाहन को एक सीमेंट खंभा से लोड वाहन द्वारा पीछे से आकर ठोकर मार दी गई, इस भीषण दुर्घटना में रूपसिंह, रूपनारायण एवं भुवनेश्वर राठिया की मौत हो गई।
शिकायतकर्ता नें अपनें लिखित आवेदन में बताया कि उसके द्वारा उक्त सीमेंट खंभा से लोड वाहन की पहचान वाहन क्रमांक सीजी. 07 सीए 5723 के रूप में किया गया, जिसकी पुष्टि सीसीटीवी के माध्यम से भी की गई, बावजूद इसके खरसिया पुलिस द्वारा आज पर्यंत तक इस मामले में कोई कारवाई नही की जा सकी है।
राजनीतिक रसूख कार्यवाही पर पड़ रही भारी…
गौरतलब है कि जब इस संबंध में शिकायतकर्ता के अनुसार जब उसनें मामले के विवेचक से इस संबंध में जानकारी ली गई तो उनका जवाब भी बड़ा चौकानें वाला मिला, जहां विवेचक द्वारा वाहन मालिक से इस संबंध में महज बात करनें की बात तो कही गई, परंतु वाहन मालिक द्वारा वाहन थाने में ना लानें की बात कहकर राजनीतिक रसूख का भी हवाला दिया जा रहा है।
बहरहाल पीड़ित पक्ष की मानें तो खरसिया पुलिस से उसे वाहन मार्ग में चलते दिखनें पर जब्त करनें की बात कही जा रही है।
अब इन परिस्थियों में निराश परिजनों द्वारा पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी लिखित शिकायत दर्ज कराई गई है, बावजूद इसके महीनें गुजर जानें के बाद भी पुलिस प्रशासन का मौनव्रत समझ से परे है।