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छत्तीसगढ़

“छक्कन दास मनहरे के आवेदन का आज दिनांक तक नहीं हो सका निराकरण… !!!

"राजस्व मामले में शिथिलता, गड़बड़ी, फर्जीवाड़ा तथा भ्रष्टाचार के दिखाई दे रहे हैं आलम !!

छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश – संजय मिश्रा :  छत्तीसगढ़ प्रदेश के बलौदाबाजार भाटापारा जिला में लगातार जिला कलेक्टर को अनगिनत राजस्व के मामलों की सीमांकन, बटांकन, अभिलेख सुधार, त्रुटि सुधार, रिकार्ड दुरुस्ती, गिरदावरी और ना जाने कई तरह के आवेदन मिलते हैं जिस आवेदनों को जिलाधीश के द्वारा संबंधित अनुविभागीय अधिकारी को निराकरण के लिए भेज दिया जाता है, तथा संबंधित तहसील के द्वारा उस प्रकरण का देखरेख और फिर आवेदन का निराकरण करके पुनः जिलाधीश तक भेजी जाती है।

लेकिन यहां पर सवाल यह उठता है कि क्या किसान कभी तहसील नहीं गया होगा, क्या कभी अनुविभागीय अधिकारी के पास नहीं गया होगा, जो कि आज उसे जिला कलेक्टर में अपनें शिकायतों को लेकर जाना पड़ रहा है, अपनें आवेदन पर कार्रवाई की जानकारी हेतु लगातार किसान के द्वारा जांच पड़ताल की जाती है, अपनें मूल निवास से लेकर तहसील, अनुविभागीय अधिकारी तथा चक्कर काटते-काटते कलेक्टर के दफ्तर तक पहुंचा जाता है, जहां पर उसे कलेक्टर के द्वारा सिर्फ रिमार्क करके पुनः भेज दिया जाता है, लेकिन उनके दुखों का अंत, राजस्व मामले के पीड़ा का अंत नहीं हो पाता और वह थक हारकर मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल तक भी आवेदन देते रहता है।

नक्शा में छेड़छाड़ की त्रुटि का निराकरण कब होगा…

ग्राम पंचायत तुरमा प.ह.न.17, रा.नि.मं. व तहसील भाटापारा में स्थित खसरा नंबर 62/1, 62/18, 145/1 शामिल 146/1, 145/2, शामिल 146/2,156, 157/14 है जो भूमि राजस्व अभिलेख में दर्ज है, उक्त भूमि पर किसान छक्कन दास मनहरे कास्त काबीज है की भूमि को किसान के द्वारा सीमांकन की आवेदन दिनांक 11/04/2016 को लगाया गया था, उसके पश्चात संबंधित अधिकारी द्वारा आज तक सीमांकन नहीं किया गया, उसके पूर्व तहसीलदार के समक्ष आवेदन लगाया गया था तो तहसीलदार नें अपनें आदेश दिनांक 11/05/2015 को यह आदेश पारित किया था कि गनेशिया बाई के नाम की भूमि को जो उपरोक्त खसरा एवं रकबा है जिसे आवेदक के नाम दर्ज किया जावे,तत्पश्चात से आवेदक के नाम दर्ज चला आ रहा था।

मगर वर्तमान में आवेदक का नाम भी चला रहा है तथा वर्तमान राजस्व अधिकारी व पटवारी के द्वारा उपरोक्त भूमि को शासकीय भूमि दर्ज कर दिया गया है, तथा उपरोक्त खसरा रकबा को शासकीय मद में दर्ज करनें का कारनामा तत्कालीन पटवारी रहे अयूब खान के द्वारा किया गया है, जो कि इस तरह के राजस्व प्रकरणों में छेड़छाड़ करनें में महारत हासिल है, और जिसके कारण वे कई बार जेल भी जा चुके है, उन्हीं के द्वारा किसान की भूमि को कूट रचना कर शासकीय मद में दर्ज करनें से किसान की काबिज भूमि से उसे बेदखल होना पड़ा।


उक्त पटवारी के द्वारा इस तरह के कई कारनामे किए जा चुके हैं, किसान नें अपनें आवेदन में यह भी कहा कि किसान के नाम से जमीन के बिना सीमांकन के कूट रचना कर शासकीय रिकार्ड में दर्ज कर लिया गया है। वर्तमान में खसरा नंबर 62/1 को शासकीय भूमि में दर्ज किया गया है, जिस कारण किसान को अपनी भूमि से बेदखल होना पड़ रहा है, इस तरह का कारनामा पटवारी अयूब खान के द्वारा किया गया, जिसकी शिकायत जिलाधीश, अनुविभागीय अधिकारी भाटापारा, तहसील भाटापारा को त्रुटि सुधार हेतु आवेदन दिया गया, लेकिन आज तक किसी भी प्रकार का कोई कार्यवाही नहीं होने से किसान मानसिक प्रताड़ना के दौर से गुजर रहा है।

पटवारी, तहसीलदार पर उच्च अधिकारी मौन…

किसान छक्कन दास मनहरे नें मीडिया को अपनें रिकॉर्ड दुरुस्ती के संबंध में बताते हुए कहा कि पूरे प्रकरण को लेकर 11/04/2016 से आज दिनांक तक पटवारी, तहसीलदार, कलेक्टर, मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल तक चक्कर काट रहा हूं और पूरे अधिकारियों का संरक्षण राजस्व मामले में गड़बड़ी करनें वालों के ऊपर दिखाई दे रहा है, क्योंकि जब 2015 में तत्कालीन रहे तहसीलदार के द्वारा आदेश हो गया और उसके बाद रिकॉर्ड जब दुरुस्त हो कर चले आ रहा है तो उसे पटवारी के द्वारा छेड़छाड़ किया गया और उसी समय से रिकॉर्ड बिगड़ा हुआ है, और आज तक सुधार नहीं हो पाया अभी वर्तमान में पटवारी राधेश्याम बर्मन के द्वारा मौका जांच कर पंचनामा भी बनाया गया, मगर उसमें किसी भी पक्षकार या जमीन संबंधी लोगों का नाम नहीं आया और पंचनामा बनाकर पेश कर दिया गया, जिस पर तहसीलदार के द्वारा प्रकरण को खारिज कर दिया गया,

इसके पहले ज्योति मसीयारे तहसीलदार के द्वारा भी आवेदन लिया गया, आवेदन पर मौका जांच कराया गया, मगर उनके द्वारा भी सिर्फ आश्वासन दिया गया, उन्होंने भी सिर्फ और सिर्फ पटवारी को संरक्षण दिया, लेकिन कार्य कुछ भी नहीं किया।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि पटवारी, तहसीलदार आज राजस्व के इकाई कड़ी है और इन्हीं के द्वारा कभी भी किसी भी रिकॉर्ड को छेड़छाड़ कर दिया जाता है, और जिसके कारण आज किसानों को इस प्रकार की दिक्कतों से गुजरना पड़ता है।

किसान की मानें तो पटवारी अयूब खान के द्वारा सीलिंग भूमि को भी बिना कोई सक्षम अधिकारी के आदेश के बिना ही दूसरे के नाम पर चढ़ा दिया गया और आज के वर्तमान समय में हो सकता है कि कई भूमियों का बिक्री भी हो गया हो, यह तो जांच का विषय है, लेकिन पटवारी अयूब खान के द्वारा जिस तरह से नक्शा, रिकॉर्ड सभी में छेड़खानी किया गया है और ऐसे पटवारी को उच्च अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है तो यहां पर राजस्व विभाग के आला अधिकारियों की महात्तम ही जानें।

खबर अभी बाकी है...
संबंधित उच्च अधिकारियों से बात की पुष्टि करके पुनः खबर प्रकाशन की जाएगी…
तब तक बनें रहें हमारे साथ…

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