
बदहाल व्यवस्था, बढ़ते हादसे और आसमान में मंडराता संकट**
धनबाद—जिसे भारत की कोयला राजधानी (Coal Capital) कहा जाता है—आज एक गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य आपात स्थिति का सामना कर रहा है। क्षेत्र में फैली भूमिगत आग, पुरानी अवैध खदानें, और कोयला उत्खनन से निकलने वाली घातक मीथेन, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर गैसें स्थानीय आबादी के लिए जानलेवा होती जा रही हैं। धनबाद के झरिया, भाटडीह, गोविंदपुर, कतरास, फुलवरिया, टेटुलमारी, साबरा और कई अन्य इलाकों में ज़हरीले धुएँ का यह संकट नए ख़तरे पैदा कर रहा है।
लगातार बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएँ, जमीन धंसने का ख़तरा, घरों के अंदर धुएँ का प्रवेश, और प्रशासनिक लापरवाही ने स्थिति को और भयावह बना दिया है। यह रिपोर्ट धनबाद में ज़हरीली गैसों के खतरे, उसके कारण, प्रभाव और प्रशासन की चुनौतियों को विस्तार से समझाती है।
कोयले की आग और गैस: एक पुरानी लेकिन बढ़ती समस्या
धनबाद के लगभग 17 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में दशकों से भूमिगत आग सुलग रही है। ये आगें कोयले को धीरे-धीरे जलाती रहती हैं और हवा में छोड़ती हैं:
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मीथेन (Methane Gas) – अत्यधिक ज्वलनशील और विस्फोटकारी
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कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) – धीमी मौत देने वाली, अदृश्य, बिना गंध की गैस
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सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) – सांस और फेफड़ों की गंभीर बीमारियों का मुख्य कारण
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कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) – क्षेत्र की हवा को भारी और प्रदूषित बनाती है
ये सभी गैसें कोयला खदानों की दरारों, बंद खदानों, और जमीन के छिद्रों से लगातार बाहर निकलती रहती हैं। कई स्थानों पर स्थानीय लोग बताते हैं कि रात के समय गैसों की तीव्रता इतनी बढ़ जाती है कि सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
झरिया–धनबाद का गैस प्रभावित क्षेत्र: निवासियों की दास्तान
क्षेत्र के कई मोहल्लों में लोगों का कहना है कि उनके घरों में रात के समय गैस भर जाती है।
कुछ परिवारों ने बताया:
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सुबह उठते ही सीने में जलन
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बच्चों में खांसी और सांस फूलना
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बुजुर्गों में दमा और टीबी जैसे लक्षण
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कई घरों की नींव में दरारें, जिनसे धुआँ निकलता है
झरिया के बेलतारिया, आगमननगर, बस्ताकोला, कोयलांचल के कई इलाकों में तो जमीन गर्म रहती है और गैसें लगातार ऊपर उठती रहती हैं। लोगों को सुबह-शाम घरों की खिड़कियाँ खोलकर धुआँ निकालना पड़ता है।
खदानों में मीथेन गैस का खतरा: धमाका कभी भी हो सकता है
धनबाद की भूमिगत खदानों में मीथेन का जमा होना मजदूरों के लिए सबसे बड़ा जोखिम है।
मीथेन एक ऐसी गैस है:
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आग पकड़ते ही विस्फोट करती है
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ऑक्सीजन को विस्थापित कर दम घोंटने जैसी स्थिति बनाती है
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हल्की होने के कारण ऊपर जमा होती रहती है
पिछले कुछ वर्षों में खदानों में गैस विस्फोट की कई घटनाएँ सामने आई हैं, जिनमें कई मजदूरों की मौत हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, कई खदानों में गैस मॉनिटरिंग सिस्टम पुराने हैं, जिससे खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
कार्बन मोनोऑक्साइड: धीमे जहर का फैलाव
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) को Silent Killer कहा जाता है।
यह गैस—
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बिना रंग की
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बिना गंध की
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बहुत कम मात्रा में भी जानलेवाहै।
धनबाद के कई इलाकों में रात के समय CO का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है। लोग अक्सर सिरदर्द, चक्कर, उल्टी और कमजोरी की शिकायत करते हैं, लेकिन ज़हरीली गैसों को इसका कारण नहीं समझते।

वनस्पति और पर्यावरण पर भारी असर
लोगों के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण भी बुरी तरह प्रभावित है:
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पेड़ों की पत्तियाँ जल जाती हैं
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खेतों की मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है
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धरती की ऊपरी सतह गर्म रहती है
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कई स्थानों पर जमीन बैठ रही है (Land Subsidence)
फसल उत्पादन में भी लगातार गिरावट देखी जा रही है। स्थानीय किसानों का कहना है कि पहले जहां अच्छा अनाज मिलता था, अब मिट्टी गर्म और रूखी रहती है।
गैस के कारण घर छोड़ने को मजबूर लोग
वर्षों से सरकारी योजनाएँ चल रही हैं कि झरिया और अन्य प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर बसाया जाएगा। लेकिन हकीकत यह है:
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पुनर्वास आधा-अधूरा
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ज़मीनों का विवाद
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अपर्याप्त मकान
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लोगों को आजीविका छोड़कर नई जगह पर जाना पड़ता है
जिसके कारण कई परिवार गैस और आग की समस्या के बावजूद अपने पुराने घरों में ही रहने को मजबूर हैं।
प्रशासनिक और राजनीतिक लापरवाही
स्थानीय लोगों का आरोप है कि:
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अधिकारियों द्वारा समय-समय पर निरीक्षण केवल दिखावा
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गैस डिटेक्टर मशीनें पुरानी और खराब
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खदानों की निगरानी ढीली
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अवैध खनन के कारण नई दरारें बन रही हैं
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सुरक्षात्मक कदम बहुत धीमी गति से लागू
इसके अलावा, कई बार खदान से निकलने वाली गैसों को नियंत्रित करने के लिए वैज्ञानिक उपायों में देरी होती है, जो स्थिति को और जोखिमभरा बनाती है।
विशेषज्ञों की चेतावनी: “स्थिति और बिगड़ सकती है”
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि:
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कोयला आग रोकने के लिए तत्काल तकनीकी हस्तक्षेप की जरूरत
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वैज्ञानिक गैस मॉनिटरिंग अनिवार्य
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अवैध खनन पर सख्ती
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खतरनाक इलाकों में नए घरों और मार्केट के निर्माण पर रोक
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गैस नियंत्रण के लिए बोअरहोल वेंटिलेशन और कवरिंग तकनीकें लागू करनी होंगी
अन्यथा आने वाले वर्षों में स्थिति और भयावह हो सकती है।
मजदूरों का दर्द: “जीने के लिए काम करें या मरने से बचें?”
कोयला खदानों के मजदूर सबसे बड़े पीड़ित हैं।
उनके सामने दोहरी समस्या है:
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गैस का जोखिम
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रोजगार खोने का डर
कई मजदूरों ने बताया कि गैस के कारण:
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कई बार काम रोकना पड़ता है
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अचानक सांस लेने में समस्या होती है
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हेल्थ चेकअप बहुत कम होते हैं
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सुरक्षा उपकरण पर्याप्त नहीं
मजदूर संगठनों की मांग है कि सुरक्षा मानकों को तत्काल सुधारना चाहिए।
आम जनता की मांग: “हम गैस नहीं, हवा में सांस लेना चाहते हैं”
धनबाद और झरिया के निवासी कई वर्षों से मांग कर रहे हैं:
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सुरक्षित आवास
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गैस नियंत्रण के वैज्ञानिक उपाय
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नियमित स्वास्थ्य शिविर
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प्रशासनिक पारदर्शिता
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खतरनाक क्षेत्रों की समय-समय पर जांच
लोगों का कहना है कि सरकारी योजनाएँ कागज़ों में अच्छी हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनका असर बहुत कम है।
धनबाद को बचाने के लिए ठोस कदम जरूरी
धनबाद में कोयला खदानों से निकलने वाली ज़हरीली गैसें केवल एक पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि मानव जीवन का संकट बन चुकी हैं।
यह समस्या—
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स्वास्थ्य
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पर्यावरण
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उद्योग
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आजीविका
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सुरक्षा
सभी को प्रभावित करती है।
यदि अभी ठोस और वैज्ञानिक उपाय नहीं किए गए तो आने वाले वर्षों में धनबाद की स्थिति और अधिक खराब हो सकती है। ज़हरीली गैसें, आग, जमीन धंसाव, प्रदूषण और मौत के खतरे को रोकने के लिए प्रशासन, उद्योग और समुदाय को मिलकर व्यापक योजना बनानी होगी।
धनबाद की जनता अब केवल एक ही मांग कर रही है—
“सुरक्षित हवा, सुरक्षित ज़िंदगी — यही हमारा अधिकार है।”















